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सर्वोच्च न्यायालय का न्यायमूर्ति कर्णन की सजा स्थगित करने से इनकार
नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन की छह महीने कैद की सजा स्थगित करने से इनकार कर दिया। उन्हें अदालत की अवमानना के लिए यह सजा दी गई है। अदालत ने साथ ही कर्णन को जमानत देने से भी इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति डी. वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली अवकाश पीठ ने कहा, हम सजा स्थगित नहीं कर सकते, क्योंकि यह सजा सात सदस्यों वाली पीठ ने दी है।
न्यायमूर्ति कर्णन के वकील मैथ्यू जे. नंदुम्पारा ने पूर्व न्यायाधीश को जमानत देने की अपील की थी, जिस पर पीठ का उक्त फैसला आया।
न्यायमूर्ति कर्णन को पश्चिम बंगाल पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, माफ कीजिए, यह नहीं हो सकता।
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बीजेपी में शामिल हुईं मनोज तिवारी की बेटी रीति तिवारी, कहा- बीजेपी अध्यक्ष ने जरूर मुझमें कुछ देखा होगा
नई दिल्ली। भाजपा नेता मनोज तिवारी की बेटी रीति तिवारी बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने बताया कि मैं हैरान हूं। मुझे भगवान की योजना के बारे में पता नहीं था। मैंने नहीं सोचा था कि यह आज या कभी भी होगा। मुझे लगा कि यह मेरे लिए 10 से 15 साल बाद होगा। लेकिन बीजेपी अध्यक्ष उन्होंने मुझमें कुछ देखा, मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि मैं किसी को निराश न करूं।
रीति एक एनजीओ में काम करती हैं और वह एक गायिका और गीतकार भी हैं। शनिवार को मनोज तिवारी के चुनाव प्रचार का पहला दिन था। जिसमें रीति शामिल हुईं और उन्होंने एक इंस्टाग्राम पर इस दौरान की स्टोरी भी शेयर की। रीति मनोज तिवारी की पहली पत्नी रानी तिवारी की बेटी हैं। शादी के 11 साल बाद 2011 में मनोज और रानी अलग हो गए। 2020 में मनोज तिवारी सुरभि के साथ दूसरी बार शादी के बंधन में बंधे। सांसद और सुरभि के दो बच्चें हैं।
भोजपुरी फिल्म स्टार मनोज तिवारी 2009 में राजनीति में शामिल हुए। उस वक्त उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह अपना पहला चुनाव योगी आदित्यनाथ से हार गए थे। साल 2014 में, मनोज तिवारी भाजपा में शामिल हो गए और उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। यहां उन्होंने आम आदमी पार्टी के आनंद कुमार को हराया और सांसद बने। उत्तर पूर्वी दिल्ली पर उनका प्रभाव इतना मजबूत हो गया कि पांच साल बाद उन्होंने इस सीट से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 3.66 लाख वोटों के अंतर से हराया। इस साल वह कांग्रेस के कन्हैया कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
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