Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र : धार्मिक नेताओं ने की सहिष्णुता की वकालत

Published

on

संयुक्त-राष्ट्र,सांप्रदायिक-हिंसा,उत्तर-भारत,चरमपंथ,महासचिव-बान-की-मून

Loading

संयुक्त राष्ट्र | विश्वभर में हो रही सांप्रदायिक हिंसा के बीच संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न धार्मिक नेताओं ने शिक्षा के जरिए सहिष्णुता और चरमपंथ से मुकाबले की खातिर लिए सुलह व शांति के लिए आवाज उठाने को एक उच्चस्तरतीय बैठक में शामिल हुए।

उडीपी श्रीपुथिगे मठ के प्रमुख श्री सुगुनेंद्र तीर्थ ने कहा, “एक शांतिपूर्ण और समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रत्येक धर्म का सम्मान करने की जरूरत है।” वह बुधवार को ‘सहिष्णुता और सुलह को बढ़ावा देना : शांति को बढ़ावा देना, समावेशी समाजों और हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करना’ विषय पर बहस करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक में वक्ताओं में से एक थे। इस बैठक का संयोजन महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि कई शताब्दियों से हिंदू दार्शनिकों और शिक्षकों ने लोगों को अन्य धर्मो का सम्मान करना सिखाया है और इस तरह की प्रवृत्ति शांति लाने के लिए आवश्यक है।

उन्होंने 13वीं सदी के हिंदू दार्शनिक द्वैत स्कूल के संस्थापक आचार्य माधव के अनुभव का वर्णन करते हुए कहा कि उत्तर भारत की यात्रा के दौरान माधव का सामना एक अन्य धर्म के राजा की फौज से हुआ। माधव आदरपूर्वक उनके पास गए और उनसे बातचीत की। राजा उनके इस शांतिपूर्ण और खुले व्यवहार से अभिभूत होकर उन्हें अपने राज्य सुगुनेंद्र तीर्थ का एक हिस्सा दे दिया। उन्होंने कहा कि चरमपंथ का सामना करने की दिशा में एक ज्वलंत समस्या यह है कि हिंसा से निपटने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करने से अधिक हिंसा और आक्रामकता होती है। उन्होंने कहा कि चरमपंत का मुकाबला करने के लिए शिक्षा एक शांतिपूर्ण हथियार है।

उन्होंने सुझाव दिया कि सभी स्कूलों में बाइबिल, कुरान, ग्रंथों और वेदों की शिक्षा दी जानी चाहिए। एक मधुमक्खी की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, जो सभी फूलों से शहद इकट्ठा करती है। ठीक इसी तरह सभी धर्मो से अच्छी चीजों को संग्रहित करें और प्यार व शांति फैलाएं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बुधवार के सत्र में कहा, “धर्म से हिंसा नहीं होती, लोगों से होती है।

अन्तर्राष्ट्रीय

गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत

Published

on

Loading

नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।

यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।

स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।

Continue Reading

Trending