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शिवसेना ने संघ से कहा- राम मंदिर निर्माण की तारीख घोषित करें भागवत

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मुम्बई। अपने जीवन काल में राम मंदिर बनाने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का स्वागत करते हुए शिवसेना ने शनिवार को कहा कि उन्हें राम मंदिर निर्माण के तारीख की घोषणा करनी चाहिए। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में भागवत के बयान की तारीफ करते हुए भाजपा सरकार पर तंज भी कसा है।

पार्टी ने मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखकर कहा है कि ‘शिवसेना संघ प्रमुख भागवत के बयान का समर्थन करती है और इस मुद्दे पर उनके साथ है।’ संपादकीय में कहा गया कि उन्हें अब अयोध्या में राम मंदिर बनाने के तारीख की घोषणा करनी चाहिए। अगर इस मुद्दे पर इतने खून खराबे के बावजूद वहां मंदिर नहीं बन सकता तो उन सैकड़ों लोगों का क्या होगा जिन्होंने इसके लिए कुर्बानी दी। सामना ने लिखा गया है कि ‘केंद्र में भाजपा की हिंदुत्ववादी सरकार है लेकिन राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को बस्ते में बांधकर कामकाज चलाया जा रहा है।

सामना में शिवसेना ने कहा, यह दिखाने के लिए कि सरकार केवल अल्पसंख्यकों का ख्याल नहीं रखती, राम मंदिर का निर्माण कराना आवश्यक है़। अगर इसे अभी नहीं बनाया जाता है तो यह कभी नहीं बन सकता। शिवसेना ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के पास अयोध्या में राम मंदिर बनाने का साहस है और जब वह मुद्दे को अपने हाथ में लेंगे तभी उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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