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अन्तर्राष्ट्रीय

शरणार्थियों की मदद के लिए दानदाता सम्मेलन का फ्रांस का प्रस्ताव

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पेरिस, 2 सितम्बर (आईएएनएस)| फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेबनान के शरणार्थियों की मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दानदाता सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, मैक्रों ने शुक्रवार को लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी से मुलाकात के बाद कहा कि लेबनान को 12 लाख शरणार्थियों की आमद से निपटने के लिए मदद की जरूरत है।

मैक्रों ने लेबनान द्वारा युद्धग्रस्त क्षेत्र से पलायन कर रहे लोगों को स्वीकारने की तारीफ करते हुए कहा कि 60 लाख की आबादी वाले देश पर इन शरणार्थियों को आसरा देना बोझ की तरह है।

मैक्रों के मुताबिक, सीरिया की सीमा से लगे देशों में कुल 90 लाख शरणार्थी हैं। उन्होंने कहा कि लेबनान दानदाता सम्मेलन पेरिस में मार्च 2018 में होने की संभावना है।

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र ने इस बात पर जोर दिया है कि शरणार्थियों की भारी संख्या के मद्देनजर लेबनान को ज्यादा सहायता की जरूरत है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत

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नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।

यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।

स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।

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