अन्तर्राष्ट्रीय
विश्व खुशी सूचकांक में भारत लुढ़का : रपट
वाशिंगटन| संयुक्त राष्ट्र की ‘खुशी रपट 2015’ की माने तो खुशी के मोर्चे पर भारतीय तेजी से पिछड़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 158 देशों पर किए गए सर्वेक्षण में पिछले दो सालों की तुलना में भारत छह बिंदु नीचे फिसल गया है। भारत को शून्य से दस के पैमाने पर 4.565 अंकों के साथ 117वां स्थान प्राप्त हुआ है। 2013 में 111 देशों पर किए गए सर्वेक्षण में भारत को 4.772 अंक मिले थे।
अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान दस में से 5.194 अंकों के साथ 81वें स्थान पर है, जबकि 4.694 अंकों के साथ बांग्लादेश 109वें स्थान पर है।
नेपाल ने 4.514 अंकों के साथ 121वां स्थान मिला है, जबकि श्रीलंका 132वें स्थान पर है। इस सूची में स्विट्जरलैंड प्रथम स्थान पर है, जबकि आईसलैंड और डेनमार्क को क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान मिला है।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय और कनाडा उन्नत अनुसंधान संस्थान में मुख्य अध्ययनकर्ता प्रोफेसर जॉन एफ. हेलीवेल के मुताबिक, “जैसे-जैसे खुशी का विज्ञान बढ़ता जाता है, हमें भी खुशी मिलती है, जिससे जीवन की गुणवत्ता का पता चलता है। हम प्रोत्साहित हैं कि दुनिया भर की ज्यादा से ज्यादा सरकारें ऐसी नीतियां बना रही हैं, जिनसे सर्वप्रथम मानव कल्याण हो।”
उन्होंने कहा, “मजबूत सामाजिक और संस्थागत पूंजी वाले देश न सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं को सहयोग करते हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट के प्रति अधिक लचीले हैं।”
गैलप द्वारा 2012-15 की अवधि के दौरान 150 से अधिक देशों को शून्य से 10 के पैमाने पर आंका गया।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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