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विमुद्रित नोटों को बदलने के लिए अतिरिक्त समय देने पर विचार करें : न्यायालय

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नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के विमुद्रित नोटों को वैध कारणों के साथ जमा करने पर विचार करने के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दो सप्ताह का वक्त दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर तथा न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता रंजीत कुमार से कहा कि वह मुद्दे पर निर्देश लें और न्यायालय को सूचित करें।

रंजीत कुमार ने लोगों द्वारा अपने विमुद्रित नोटों को जमा करने के मौके की मंजूरी को लेकर निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की थी।

पीठ ने कहा कि ये वे लोग हैं, जो 30 दिसंबर की समय सीमा के दौरान अपने पुराने नोटों को जमा नहीं कर पाए थे, जैसे कुछ लोग इस दौरान जेल में थे।

पीठ ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि आपने ऐसे लोगों को रोकने का चुनाव क्यों किया।

न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें एक महिला ने कहा है कि उस वक्त उसने बच्चे को जन्म दिया था, जबकि एक अन्य महिला ने कहा कि उनके घर में उस वक्त किसी की मौत हो गई थी।

याचिकाओं में अधिकारियों को विमुद्रित नोट जमा करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

उल्लेखनीय है कि आठ नवंबर, 2016 की रात केंद्र सरकार ने 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था।

सरकार ने आश्वस्त किया था कि विमुद्रित नोटों को बैंकों, डाकघरों तथा आरबीआई की शाखाओं में 30 दिसंबर, 2016 तक बदले जा सकते हैं। अगर लोग इस समय सीमा के भीतर अपने नोट जमा नहीं करा पाए, तो उन्हें कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 31 मार्च, 2017 तक आरबीआई की शाखाओं में विमुद्रित नोटों को जमा करने का मौका मिलेगा।

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नेशनल

पुणे पोर्श कार केस : आरोपी की मां गिरफ्तार, बेटे के बदले अपना ब्लड सैंपल देने का है आरोप

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पुणे। पुणे पोर्श कार केस में नाबालिग आरोपी की मां को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने इसकी जानकारी दी है। नाबालिग आरोपी की मां पर अपने बेटे का ब्लड सैंपल बदलने के लिए अपना ब्लड सैंपल देने का आरोप है। पुलिस ने कोर्ट में कहा कि नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल उसकी मां ने अपने ब्लज सैंपल से बदल दिया था, ताकि यह दिखाया जा सके कि घटना के वक्त वह नशे में नहीं था। साथ ही कुछ दिन पहले ही आरोपी की मां का एक वीडियो वायरल हुआ था। जहां उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया था कि वो उसके बेटे की रक्षा करे। आरोपी की मां ने वीडियो में कहा था कि जो वीडियो वायरल हो रहा है वो उसके बेटे का नहीं है बल्कि किसी और का है।

बता दें कि पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को ‘पोर्श’ कार के 17 वर्षीय चालक ने मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में दोनों की मौत हो गई थी। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी नशे की हालत में कार चला रहा था। मामले के 17 वर्षीय आरोपी को एक सुधार गृह में भेज दिया गया, जबकि उसके पिता एवं रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को परिवार के वाहन चालक का कथित तौर पर अपहरण करने और उस पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया है।

इससे पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ए ए पांडे की अदालत ने दो डॉक्टरों, डॉ. श्रीहरि हरनोर और डॉ. अजय तवारे के साथ-साथ अस्पताल के एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था। ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को किशोर के ब्लड सैंपल में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था ताकि यह दिखाया जा सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि किशोर के पिता ने डॉक्टरों में से एक को बुलाया था और उसे नमूने बदलने के लिए कहा था, साथ ही पुलिस यह जांच करना चाहती थी कि नमूनों में हेरफेर करने के निर्देश किसने दिए थे।

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