Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

राजस्थान में बढ़ेगा सौर बिजली उत्पादन

Published

on

Loading

 

जयपुर| सौर विकिरण तथा दूर-दूर तक बंजर भूमि व रेगिस्तान वाले राज्य राजस्थान में अप्रैल तक कुल 355 मेगावाट सौर बिजली क्षमता वाले संयंत्रों के बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है। यह जानकारी एक मंत्री ने दी। राजस्थान आने वाले कुछ साल में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों से 25 हजार मेगावाट बिजली क्षमता तैयार करना चाहता है।

इन संयंत्रों में बिजली उत्पादन शुरू करने के लिए हालांकि पारेषण लाइनों का निर्माण करने में 18-24 महीने और लग जाएंगे।

ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, “आज की स्थिति के मुताबिक अप्रैल तक 355 मेगावाट की सौर बिजली संयंत्रों के तैयार हो जाने की उम्मीद है। 50 मेगावाट की अन्य पांच परियोजनाएं अभी निविदा प्रक्रिया में हैं और इनके भी सितंबर तक बन कर तैयार हो जाने का अनुमान है।”

एक मेगावाट सौर बिजली के लिए आठ करोड़ रुपये (12 लाख डॉलर) का निवेश करना पड़ता है।

राज्य सरकार ने हाल ही में 5,000 मेगावाट क्षमता के सौर पार्क की स्थापना के लिए सन एडीसन इंडिया और इंफ्रास्ट्रक्च र लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, “नई नीति के कारण राजस्थान सौर बिजली क्षेत्र में और देश में ऊर्जा सुरक्षा तथा टिकाऊ विकास के मामले में अग्रणी बनने की स्थिति में है। निवेशक अनुकूल सौर ऊर्जा नीति बनाने के बाद कंपनियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।”

गत वर्ष अक्टूबर में घोषित नई नीति के बारे में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा था, “हमने अनुकूल माहौल बना दिया है, जिसका परिणाम हर कोई देख सकता है। प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां राजस्थान में निवेश कर रही हैं और हम 25 हजार मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।”

नई नीति में किसानों को भी लाभ की स्थिति में रखा गया है, क्योंकि इसमें राजस्थान किराया कानून और राजस्थान भूमि राजस्व कानून में भी संशोधन किया गया है। इसके जरिये किसानों को उनकी जमीन पर बनने वाले सौर बिजली संयंत्र पर अधिकार दिया गया है।

सौर बिजली संयंत्र बनाने के लिए भूमि उपयोग में बदलाव की जरूरत नहीं रखी गई है।

इसके जरिये किसान अपनी जमीन पर बनने वाले संयंत्र से नियमित आय हासिल कर सकेंगे।

 

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

Published

on

Loading

अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

Continue Reading

Trending