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राजनाथ को दी गई बारामूला के सुरक्षा हालात की जानकारी

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राजनाथनई दिल्ली| जम्मू एवं कश्मीर के बारामूला जिले में रविवार रात राष्ट्रीय रायफल्स और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविर को निशाना बनाकर किए गए हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को वहां के सुरक्षा हालात की जानकारी दी गई। राष्ट्रीय राइफल्स और उससे सटे बीएसएफ के शिविर पर रात करीब 10.30 बजे हमला किया गया, जिसके बाद मध्य रात्रि तक भारी गोलीबारी होती रही।

सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ के महानिदेशक के.के. शर्मा ने राजनाथ को पूरी स्थिति से अवगत कराया। शर्मा की फोन पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी बात हुई।

राजनाथ ने इस हमले में एक जवान के शहीद होने पर संवेदना जताई और अधिकारियों को शहीद जवान के परिवार के सहायता राशि की घोषणा करने के निर्देश दिए। उन्होंने बीएसएफ प्रमुख से घायल जवानों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने को भी कहा।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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