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अन्तर्राष्ट्रीय

मोदी के खिलाफ मुकदमा खारिज

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न्यूयार्क| अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मानवाधिकार से संबंधित एक मामला खारिज कर दिया, जिसमें उन पर गुजरात दंगों को रोक पाने में विफल होने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने कहा कि मोदी इस वक्त एक देश की सरकार के प्रमुख हैं और इसलिए उन्हें मुकदमों से छूट प्राप्त है। मोदी के खिलाफ यह मुकदमा न्यूयार्क में अमेरिकी मानवाधिकार संस्था ‘अमेरिकन जस्टिस सेंटर’ (एजेसी) ने दायर किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश एनालिसा टोरेस ने बुधवार को मोदी को मुकदमे से छूट देने के अमेरिकी विदेश विभाग के निर्णय को बरकरार रखा।

न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि किसी देश की सरकार के प्रमुख होने के नाते मोदी को मुकदमों से मिलने वाली छूट सरकार के निर्णय पर आधारित है।

टोरेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि विदेशी संप्रभुता उन्मुक्ति अधिनियम केवल विदेशी राष्ट्रों को छूट प्रदान करता है, न कि व्यक्तिगत सरकारी अधिकारी को। इसलिए मोदी को इस कानून के तहत छूट नहीं मिल सकती, क्योंकि जिसका आरोप उन पर लगाया गया है, वह उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले हुआ था।

एजेसी ने मोदी के खिलाफ टॉर्चर विक्टिम प्रोटेक्शन एक्ट, 1991 और एलियन टॉर्ट स्टैट्यूट के तहत सितंबर 2014 में उनकी अमेरिका यात्रा से ठीक पहले उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

अमेरिकी अदालत की ओर से मोदी के खिलाफ मामला ऐसे समय में खारिज किया गया है, जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में यहां पहुंचने वाले हैं।

 

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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