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मांझी को पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा : नीतीश
पटना | बिहार में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को जनता दल (युनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि यह पहले ही हो जाना चाहिए था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मांझी के इस्तीफे की आधिकारिक जानकारी नहीं है और इसकी पुष्टि होने पर ही वह उचित प्रतिक्रिया दे पाएंगे।
बिहार विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत से पहले मुख्यमंत्री मांझी ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की, जिसके बाद उनके इस्तीफा देने की बात सामने आने लगी। विधानसभा और विधानपरिषद के संयुक्त सत्र को राज्यपाल संबोधित करने वाले थे, जिसके बाद मांझी को विश्वास मत प्राप्त करना था। लेकिन इससे पहले ही पैदा हुए हालात से राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं।
नीतीश ने मौजूदा हालात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहले हो जाना चाहिए था, ताकि विधानमंडल का बजट सत्र सुचारु रूप से चल सके। उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि मौजूदा घटनाक्रम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बेनकाब हो गई है और साबित हो गया है कि उनकी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) गलत नहीं थी। उन्होंने कहा, “एक तरफ जहां राज्यपाल के अभिभाषण से पहले सभी विधायक विधानसभा पहुंच रहे हैं, वहीं इस्तीफे की खबरें आ रही हैं। यह बजट सत्र की शुरुआत से काफी पहले हो जाना चाहिए था।”
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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