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मुख्य समाचार

महाराष्ट्र : शिवसेना प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली विकास समिति के खिलाफ

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मुंबई| महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार की घटक शिवसेना ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस कथित प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है, जिसके तहत उन्होंने मुंबई के विकास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित करने का मन बनाया है। फडणवीस ने हालांकि इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि है कि मुंबई के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। लेकिन शिवसेना का कहना है कि यह कदम काफी विवादास्पद हो सकता है।

शिवसेना ने मंगलवार को पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, “मराठी लोगों को लगता है कि शहर के विकास के लिए अलग मशीनरी बनाने का प्रस्ताव, मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की एक चाल है। यह देखना बाकी है कि इस कदम के राजनीतिक परिणाम क्या होते हैं?”

सामना में फडणवीस के हवाले से लिखा गया है, “देश की प्रगति और विकास मुंबई की प्रगति के बिना संभव नहीं है। मुंबई के तेज विकास के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।”

शिवसेना ने फडणवीस के इरादों की सराहना की। लेकिन पार्टी ने आगाह किया है कि इस कदम से ऐसा एक संदेश गया है कि राज्य, मुंबई के विकास की अपनी जिम्मेदारी से भागने का प्रयास कर रहा है।

सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘अतीत में मुंबई को शंघाई, सिंगापुर, हांगकांग आदि में परिवर्तित करने की तमाम बातें हुई हैं। मुंबई केंद्रीय कोषागार में सलाना 1,75,000 करोड़ रुपये का योगदान देता है, लेकिन यह एक भिखारी जैसा बने रहने पर मजबूर है।”

शिवसेना ने प्रस्ताव को लेकर फडणवीस को चेताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव विपक्षी दलों के लिए हथियार बन सकता है।

संपादकीय में प्रश्न उठाते हुए कहा गया है कि केवल मुंबई ही क्यों? देश में दिल्ली, पटना, लखनऊ, भोपाल और कोलकाता जैसे अन्य बड़े शहरों की ओर भी प्रधानमंत्री का ध्यान खींचने की जरूरत है।

शिवसेना ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “जब देश के अन्य शहर भी विकसित होंगे और प्रगति करेंगे, तो मुंबई पर दबाव कम होगा। मुंबई का विकास होना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित कर लें कि इलाज, रोग से बुरा नहीं होना चाहिए।”

संपादकीय में कहा गया है, “राज्य की दूसरी राजधानी, नागपुर को विकास की जरूरत है, जो पूरे विदर्भ को लाभ पहुंचा सकता है। यहां तक कि मराठवाड़ा के विकास पर भी विचार किया जाना चाहिए। इन सब से महाराष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित होगी। लेकिन मुख्यमंत्री ने मुंबई का भाग्य दिल्ली के हाथों में सौंप दिया, हालांकि उनके इरादे नेक हैं।”

संपादकीय में कहा गया है, “संक्षेप में कहा जाए, तो मुख्यमंत्री बहुत जल्दी में हैं। हम इसके लिए उन्हें बधाई देते हैं।”

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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