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अन्तर्राष्ट्रीय

मलेशिया में 21 रोहिंग्या शरणार्थियों के शव दफनाए

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कुआलालंपुर| मलेशियाई अधिकारियों ने मानव तस्करी के पीड़ित 21 लोगों के शव सोमवार को दफना दिए। अधिकारियों को ये शव पिछले माह मिले थे और माना जाता है कि ये शव रोहिंग्या शरणार्थियों के थे। समाचार एजेंसी बरनामा की रपट के मुताबिक, इन शवों को केदाह राज्य के पोकोक सेना शहर स्थित कामपुंग तुलांग कब्रिस्तान में दफनाया गया है। इनमें 19 शव पुरुषों के और दो शव महिलाओं के थे। शवों को पोस्टमार्टम के बाद दफनाया गया।

एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि बाकी के बचे 85 शवों का पोस्टमार्टम करने के बाद उन्हें भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा।

मलेशिया में थाईलैंड की सीमा की ओर इस साल दर्जनों शव मिले थे। ये शव म्यांमार से आए रोहिंग्या प्रवासियों के थे, और उन्हें कब्रों से निकाला गया था। इसी के बाद से थाईलैंड में मानव तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

जब से तस्करों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है, मलेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड में बसने के लिए जा रहे हजारों प्रवासियों को ले जाने वाली नौकाएं समुद्र में फंसी रह गई थीं। इन नौकाओं में म्यांमार और बांग्लादेश के लोग सवार थे।

इंडोनेशिया और मलेशिया 7,000 बांग्लादेशी प्रवासियों को अपने देश में रखने के लिए सहमत हो गए हैं, जबकि म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थी अपनी स्वदेश वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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