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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत की मदद कभी नहीं मागूंगा : बलूच नेता

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इस्लामाबाद| बलूचिस्तान के अलगाववादी नेता हीरबायेर मरी ने कहा कि पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी के लिए बलूच लोग भारत से मदद नहीं मांगेंगे। मरी ने कहा कि वह स्वतंत्र बलूचिस्तान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा मैं नहीं मानता कि बलूचिस्तान के अधिकांश लोग पाकिस्तान के साथ रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि न तो वह और न ही उनके सहयोगी प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के साथ किसी तरह से संबद्ध हैं।

मरी  ने कहा कि वह स्वतंत्रता के लिए भारत से मदद की मांग नहीं कर रहे। उन्होंने कहा मैंने कभी उनसे मदद की मांग नहीं की और न ही भविष्य में ऐसा करूंगा। उन्होंने उन खबरों को भी खारिज कर दिया, जिसके मुताबिक स्वतंत्र बलूचिस्तान आंदोलन के लिए वह भारत का दौरा करेंगे। हीरबायेर मरी  कथित तौर पर प्रतिबंधित बीएलए का कथित तौर पर नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें साल 2000 में ही निर्वासित कर दिया गया था और फिलहाल लंदन में रह रहे हैं। बीएलओ के एक प्रतिनिधि बलाच परदिली ने कहा है कि वह निकट भविष्य में नवाबजादा (हीरबायेर) मरी के दिल्ली दौरे की उम्मीद कर रहे हैं।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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