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बुजुर्गो के जीवन में खुशियां बिखेरने में जुटे हैं डॉ. प्रसून
नई दिल्ली, 16 जून (आईएएनएस)| भारतीय समाज में बुजुर्गो को हमेशा सम्मान की नजरों से देखा गया है। उनसे एक मार्गदर्शक और परिवार के मुखिया के तौर पर हर तरह की सलाह ली जाती रही है, लेकिन आधुनिक समाज में ये परंपराएं धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं और इसका असर बुजुर्गो के साथ ही समाज पर भी पड़ रहा है। यह कहना है गैर सरकारी संगठन हेल्दी एजिंग इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रसून चटर्जी का। डॉ. चटर्जी अपनी संस्था के माध्यम से ऐसे उपेक्षित बुजुर्गो के बचे जीवन में खुशियां डालने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
डॉ. चटर्जी कहते हैं कि समाज के विकास और बुजुर्गो की सही स्थिति के लिए परिवार में दादा-दादी से बच्चों की बातचीत जरूरी है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में बुजुर्गो के चिकित्सक, चटर्जी (40) ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, अपने काम की वजह से ज्यादातर लोग न्यूक्लियर फैमिली की तरफ जा रहे हैं। इससे बुजुर्ग अकेले पड़ जाते हैं, दूसरा युवाओं से उनकी दूरी बढ़ जाती है। ऐसे में बुजुर्गो की हालत खराब होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि बुजुर्गो के अनुभव को अमूल्य पूंजी समझने वाला समाज अब उनके प्रति बुरा बर्ताव भी करने लगा है।
आज के जमाने में घर के बुजर्गो को जहां लोग ओल्ड एज होम भेज रहे हैं, वहीं डॉ. चटर्जी ने उनकी सेवा का मिशन शुरू किया है। यह विचार आया कैसे? उन्होंने कहा, आप किसी भी ओल्ड एज होम जाएं, चाहें वह दिल्ली का हो, अमेरिका का हो, बजुर्गो की हालत खराब है। इसी को देखकर हमें लगा कि उनकी मदद करनी चाहिए। उन्हें ठीक ढंग से स्वास्थ्य देखभाल की जरूररत है, जो उन्हें नहीं मिल रही है।
आखिर किस तरह से बुजुर्गो की मदद करते हैं? डॉ. चटर्जी कहते हैं, हमने संस्था बनाई और इसके जरिए हम ऐसे दूरदराज गांवों में जाकर बुजुर्गो की मदद करते हैं, जहां उन्हें कोई पूछता नहीं है, जैसे बीकानेर के कुछ गांवों में हमने काम किया। इसके अलावा हजारीबाग, दिल्ली के करावल नगर, फरीदाबाद में स्वास्थ्य शिविर लगाए, और स्वास्थ्य जागरूकता और खानपान को लेकर अभियान चलाए।
देश में बुजुर्गो के शीर्ष चिकित्सकों में से एक डॉ. चटर्जी ने कहा कि वह अपनी संस्था के जरिए बच्चों और दादा-दादी के बीच दूरी मिटाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा, हम समुदाय में जाकर बच्चों को बताते हैं कि दादा-दादी की उनके जीवन में क्या कीमत है। अगर दादा-दादी सक्रिय रहेंगे तो यह उनके लिए फायदेमंद होगा।
उन्होंने कहा, जब बच्चे दादा-दादी के साथ बड़े होते हैं तो उनका पालन-पोषण अच्छा होता है। जो बच्चे भरे-पूरे परिवार में सबके विचारों के साथ बड़े होते हैं, वे समाज में तरक्की करते हैं।
महानगरों में जिंदगी जितनी आधुनिक हो रही है, बुजुर्गो के लिए परेशानियां उतनी ही बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली में भी ओल्ड एज होम की संख्या का लगातार बढ़ना, यह दिखाता है कि यहां बुढ़ापा तन्हा और बेघर होने का ही दूसरा नाम है।
एम्स में सहायक प्रोफेसर, डॉ. चटर्जी कहते हैं, इसके लिए हम रामजस के ओल्ड एज होम में दादा-दादी से बच्चों को मिलाते हैं और यह काम गुजरात में भी किया है।
डॉ. चटर्जी ने कहा, दसअसल, बच्चों और दादा-दादी के बीच संवाद जरूरी है। अपने दादा-दादी से बात करें। उनके साथ 10 मिनट बैठें। उनकी आधी बीमारी बातचीत से दूर की जा सकती है। उन्हें भोजन के साथ ही प्यार और लगाव की जरूरत है।
बुजुर्गो को निराशा से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा, सक्रिय रहने के तरीके हैं कि आप व्यायाम, वॉकिंग, गणित ती समस्याएं सुलझाएं, इंटरनेट पर समय दें, पढ़ें, अखबार पढ़ें, कुछ न कुछ करते रहें।
बुजुर्गो को सीधे तौर पर भी कोई मदद करते हैं? डॉ. चटर्जी ने कहा, यह संभव नहीं है। हम उन्हें 24 घंटे खाना नहीं दे सकते, रहने की जगह नहीं दे सकते। कई समस्याएं हैं। इसमें बहुत सारी संस्थाएं काम करती हैं और हम भी उन्हें अपने तरीके से मदद पहुंचाते हैं।
बुजुर्गो की कौन-कौन सी समस्याएं हैं, जिन पर आप काम करते हैं? उन्होंने कहा, रक्त चाप, दिल की समस्या, बोलने की बीमारी। इसमें हम इस बात पर विशेष ध्यान देते हैं कि बुजुर्गो को बोलने की बीमारी न हो। इसके अलावा, एनीमिया सर्वाधिक प्रासंगिक है। यह अलग तरह की बीमारी है।
एक आकड़े के मुताबिक, देश में 12 करोड़ बजुर्ग समस्याग्रस्त हैं, जिनमें से 10 प्रतिशत 80 वर्ष से अधिक के हैं, और इनमें उच्च रक्तचाप, हड्डी टूटना, कैल्शियम की कमी, और दिल की बीमारी है।
अब तक ऐसे कितने बुजर्गो की मदद कर चुके हैं? डॉ. चटर्जी ने कहा, लाख से भी ज्यादा। जब मैं चेन्नई में था तो जगह-जगह अभियान चलाए, शिविर लगाए। हर महीने हम कहीं न कहीं शिविर के लिए जाते हैं।
इस काम में सरकार से भी कोई मदद मिलती है? उन्होंने कहा, हर तरह से मदद मिलती है। कई संस्थानों में बुजुर्गो के लिए अलग से डॉक्टर हैं, जो उनकी देखरेख करते हैं। इसके अलावा, 4-5 स्थानों पर इनका अलग से विभाग बनाने की योजना है। जागरूकता के लिए कुछ-कुछ निजी कंपनियां भी मदद कर देती हैं।
संस्था की मौजूदा गतिविधियों के बारे में उन्होंने कहा, बुजुर्गो की मदद करना, स्वास्थ्य देखभाल करना, ऑनलाइन परामर्श के जरिए उन्हें मदद पहुंचा रहे हैं।
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मणिशंकर अय्यर के पाक प्रेम पर बीजेपी का पलटवार, कही ये बात
नई दिल्ली। बीजेपी ने मणिशंकर अय्यर के उस बयान पर कांग्रेस पर निशाना साधा है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को सम्मान दिए जाने की जरुरत है क्योंकि उसके पास एटम बम है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंदशेखर ने कहा कि धीरे-धीरे कांग्रेस और राहुल गांधी की विचारधारा देश के सामने साफ हो रही है। इन लोगों की विचारधारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवादियों की समर्थक बन गई है। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि ये लोग मणिशंकर अय्यर के बयान से खुद को अलग कर लेंगे। जैसे इन लोगों ने दिग्विजय सिंह के बयान से खुद को अलग कर लिया था।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ‘अब कांग्रेस भारत में आतंकवादी भेजने वाले पाकिस्तान को इज्जत देने की बात कर रही है। कांग्रेस का हाथ आतंकवादियों एवं पाकिस्तान के साथ दिख रहा है और अब इसका एक और प्रमाण सामने आ गया।’ उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गिड़गिड़ा रहा है।
पूनावाला ने मणिशंकर अय्यर के बयान को लेकर गांधी परिवार और कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘कांग्रेस परिवार के करीबी मणिशंकर अय्यर जो कि पीएम मोदी को हटाने के लिए एक बार पाकिस्तान से मदद मांगने भी गए थे। अब वह पाकिस्तान की ताकत और उसके परमाणु बम को दिखा रहे हैं। मणिशंकर अय्यर, भारत में आतंकवादी भेजने वाले पाकिस्तान को इज्जत देने की बात कर रहे हैं, जबकि इसी कांग्रेस के नेता हमारी सेना के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। मणिशंकर अय्यर हमारी सेना के बंदूक लेकर घूमने, मोदी सरकार द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाने जैसे कदमों की बजाय यह चाहते हैं कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए कदम न उठाए।’
बीजेपी प्रवक्ता ने कि कांग्रेस सरकार के समय मुंबई में 26/11 के भयानक आतंकी हमले के बाद भी मनमोहन सिंह की सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के बजाय उसे मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे दिया था। उन्होंने कहा, ‘उनकी सरकार के समय लगातार आतंकी घटनाएं होती थीं और भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मदद की गुहार लगाया करता था। लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जिस तरह से पाकिस्तान को सबक सिखाने का काम किया है, उसके बाद अब हालत यह हो गई है कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।’
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