अन्तर्राष्ट्रीय
बीजिंग की जनसंख्या सीमित की जाएगी
बीजिंग। बीजिंग प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि यहां की जनसंख्या इस साल के अंत तक 2.18 करोड़ से कम रहे। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। बीजिंग के महापौर वांग अंशुन ने कहा कि ‘विशाल शहर की मर्ज’ का इलाज करने के लिए आक्रामक कदम उठाए जाएंगे।
महापौर बीजिंग की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करने वाली एक बैठक में बोल रहे थे। बीजिंग की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके कारण शहर के संसाधनों और पर्यावरण पर दबाव बढ़ता जा रहा है। 2014 के अंत तक शहर की स्थायी निवासी आबादी 2.15 करोड़ थी। इनमें से 1.28 करोड़ आबादी छह शहरी जिलों की थी। बीजिंग-तियांजिन-हेबी क्षेत्र के कॉओर्डिनेटेड डेवलपेंट प्लानिंग आउटलाइन के मुताबिक, बीजिंग की जनसंख्या 2020 तक 2.3 करोड़ से कम रहनी चाहिए।
वांग ने कहा, “बीजिंग प्रशासन शहर की आबादी नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगा और सुनिश्चित करेगा कि स्थायी निवासियों की आबादी इस साल के अंत तक 2.18 करोड़ से कम रहे।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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