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हेल्थ

बीएमआई से लग सकता है शिशु के मोटापे का अनुमान

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न्यूयॉर्क | भविष्य में आपका बच्चा मोटापाग्रस्त होगा या नहीं, इसका अनुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है। लेकिन एक नए शोध के अनुसार, शैशवावस्था के दौरान शिशु का बॉडी मॉस इंडेक्स (बीएमआई) मापने से आपको यह अंदाजा लगाने में मदद मिल सकती है कि चार साल की उम्र में आपका बच्चा मोटापाग्रस्त होगा या नहीं। शोध के परिणामों के अनुसार, शैशवावस्था में बच्चे के विकास का स्वरूप समझकर मोटापे से बचाव में मदद मिलती है।

शरीर का वजन और लंबाई मापने वाला बीएमआई, शरीर में वसा की मात्रा का अनुमान लगाता है। चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया (सीएचओपी) में बालरोग एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और अध्ययन की नेतृत्वकर्ता शाना मैककॉरमैक ने बताया, “हमने वंश आधारित विकास स्वरूप का भी विश्लेषण किया और पाया कि नौ महीने की उम्र स्पष्ट अंतरों का संबंध बचपन में होने वाले मोटापे के खतरों से था।” अध्ययन में फिलाडेल्फिया के 2,114 स्वस्थ शिशुओं के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया।

मैककारमैक ने बताया, “हमने जांच की कि शिशुओं में बीएमआई का प्रयोग भविष्य में मोटापे के खतरे को मापने वाले उपकरण के तौर पर कर सकते हैं या नहीं।” अध्ययन में शामिल किए गए 61 प्रतिशत शिशु अफ्रीकी-अमेरिकी थे। राष्ट्रीय अनुमानों के अनुसार, इनमें मोटामें और व्यस्क होने पर मधुमेह की दर सबसे अधिक होती है। शोध टीम ने अफ्रीकी-अमेरिकी शिशुओं और यूरोपीय वंश के शिशुओं की विकास वक्र रेखा में महत्वपूर्ण अंतर पाए। शोध में पाया गया कि अफ्रीकी-अमेरिकी शिशुओं में चार साल की उम्र में मोटापाग्रस्त होने का खतरा, यूरापीय वंश के शिशुओं की अपेक्षा दोगुना होता है। यह अध्ययन ‘क्लीनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म’ जर्नल में प्रकाशित हुआ।

लाइफ स्टाइल

दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देता है जंक फूड, इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज  

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Junk food invites heart related diseases, avoid these foods

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नई दिल्ली। अनियमित लाइफ स्टाइल व तला भुना जंक फूड दिल से जुड़ी बीमारियों की मुख्य वजह बन गया है। स्टडीज़ के अनुसार, अगर आप अपने दिल की सेहत में सुधार करना चाहते हैं, तो इन 4 तरह के खाने से दूरी बना लें।

तला हुआ खाना

कई शोध से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स शरीर में बैड कोलेस्ट्ऱॉल की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। रेड मीट, फ्रेंच फ्राइज़, सैंडविच, बर्गर आदि जैसे फूड्स LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।

चीनी युक्त सोडा या फिर केक

चीनी को मीठा ज़हर ही कहा जाता है। केक, मफिन, कुकीज़ और मीठी ड्रिंक्स शरीर में सूजन का कारण बनते हैं। चीनी का ज़्यादा सेवन शरीर में फैट्स बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

लाल मांस

रेड मीट सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है, जिसकी वजह से धमनियों में प्लाक जम सकता है। जिनको मटन खाने का शौक है, उन्हें वह हिस्सा खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रोटीन और कम फैट हो। अगर आप चिकन खा रहे हैं तो ब्रेस्ट, विंग्ज़ वाला हिस्सा में ज़्यादा प्रोटीन होता है और कम फैट। वहीं, मछली सबसे हेल्दी और अच्छा ऑप्शन है।

सफेद चावल, ब्रेड या फिर पास्ता

सफेद ब्रेड, मैदे, चीनी और प्रोसेस्ड तेल को मिलाकर तैयार किए जाने वाले फूड्स में किसी भी तरह का फायदा नहीं होता। ऐसा ही सफेद पास्ता के साथ भी है। सफेद चावल में फाइबर की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल की सेहत के लिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

 

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