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बिहार : पोलियो टीकाकरण के बाद बच्चे की मौत

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हाजीपुर| बिहार के वैशाली जिले में गंगाब्रिज थाना क्षेत्र के साहपुर गांव में कथित तौर पर पोलियो रोधी दवा की खुराक दिए जाने के बाद एक बच्चे की मौत हो गई तथा छह अन्य बीमार हो गए। प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ‘पोलियो ड्रॉप’ पीने के बाद ही गांव के सात बच्चे बीमारी हो गए, जिनमें से एक की अस्पताल में उपचार के दौरान जान चली गई।

वैशाली जिले के सिविल सर्जन डॉ़ रामाशीष प्रसाद ने शनिवार को बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

उन्होंने कहा, “किसी भी ड्रॉप के पीने या टीकाकरण के कारण अभी तक कहीं साहपुर गांव इस तरह की घटना सामने नहीं आई है। टीकाकरण जिले के अन्य स्थानों पर भी किया गया है। मामले की जांच के लिए चिकित्सकों का एक दल गांव भी भेजा गया है।”

इधर, मृतक बच्चे के पिता शेषनाथ यादव का आरोप है कि ‘पोलियो ड्रॉप’ पीने के बाद ही गांव के सात बच्चों की तबियत बिगड़ी। बच्चों को पहले बुखार हुआ और फिर वे उल्टी करने लगे। सभी बच्चों को शनिवार सुबह सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसके बच्चे की मौत हो गई।

परिजनों ने बताया कि साहपुर में शुक्रवार को आंगनबाड़ी केन्द्र पर सेविकाओं ने बच्चों को ‘पोलियो ड्रॉप’ पिलाया था।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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