अन्तर्राष्ट्रीय
बान की-मून ने इराक के प्रधानमंत्री को बधाई दी
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कब्जे से रमादी के एक बड़े हिस्से को छुड़ाकर इस पर पुन: अपना नियंत्रण करने के लिए बुधवार को इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी को बधाई दी।
बान के प्रवक्ता के कार्यालय के मुताबिक, बान ने इराक के प्रधानमंत्री से कहा कि रमादी को आईएस के चंगुल से मुक्त कराना एक महत्वपूर्ण जीत है। अब रमादी में कानून और बुनियादी सेवाओं की बहाली को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।
बान ने इराक में कतर के नागरिकों के एक समूह के अपहरण पर चिंता व्यक्त करते हुए अल-अबादी से इनकी जल्द रिहाई सुनिश्चित करने का आह्वान किया। आईएस के आतंकवादियों के चंगुल से रमादी के कई प्रमुख शहरों पर दोबारा नियंत्रण स्थापति करने के बाद अल-अबादी मंगलवार को रमादी पहुंचे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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