मुख्य समाचार
बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ दिल्ली में लेखकों का प्रदर्शन
नई दिल्ली| देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ करीब 100 लेखकों ने शुक्रवार को यहां शांतिपूर्ण मार्च किया, जिसमें देशभर के लेखकों ने हिस्सा लिया। देशभर से लेखक मंडी हाउस में श्रीराम सेंटर के पास एकत्र हुए और वहां से साहित्य अकादमी तक मार्च किया। उन्होंने विरोधस्वरूप माथे पर काली पट्टियां बांध रखी थी।
लेखकों ने कहा कि उनका यह प्रदर्शन असामाजाकि घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार के आंखें मूंदे रहने के खिलाफ उनके आक्रोश को दर्शाने के लिए है। साथ ही वे इस प्रदर्शन के जरिये साहित्यकारों पर बढ़ते हमलों के प्रति अकादमी का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
साहित्य अकादमी की विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई आपात बैठक से ठीक पहले यह प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन में शामिल एक लेखक ने कहा, “देश में वर्तमान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है। इन दिनों देश में जो कुछ भी हो रहा है, उससे अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। साहित्य अकादमी को भी सरकार पर दबाव डालना चाहिए और लेखकों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ कानून पारित करने चाहिए।”
देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ विरोध दर्शाते हुए अब तक कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए हैं।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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