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अन्तर्राष्ट्रीय

फुटबाल मैच में उपद्रव के 11 दोषियों को मौत की सजा

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काहिरा | मिस्र की अदालत ने 2012 में फुटबाल मैच के दौरान हुए उपद्रव में शामिल रहने के दोषी पाए गए 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई। उपद्रव में 72 प्रशंसकों की मौत हो गई थी। मीना समाचार एजेंसी के अनुसार पोर्ट सेड क्रिमिनल कोर्ट ने फैसले से पूर्व धर्मगुरुओं से इस बारे में राय मांगी थी। यहां के नियम के अनुसार मौत की सजा देने से पहले धार्मिक संस्थाओं की सलाह लेना जरूरी होता है।

गौरतलब है कि तीन साल पहले फरवरी-2012 में अल एहली और अल-मैस्री क्लब के बीच हुए मुकाबले के दौरान हुए उपद्रव के बाद तत्काल 73 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसमें नौ सुरक्षा अधिकारी भी शामिल थे। इस घटना में 72 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 254 प्रशंसक घायल हो गए थे। शुरुआत में 21 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी जबकि पांच को उम्रकैद की सजा मिली। इसके बाद वर्ष- 2014 में अभियोजन और प्रतिवादी पक्ष की ओर से अपील दायर किए जाने के बाद 2014 से दोबारा मामले की सुनवाई शुरू हुई।

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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