अन्तर्राष्ट्रीय
प्रदूषण से हर साल 17 लाख बच्चों की मौत : डब्ल्यूएचओ
संयुक्त राष्ट्र|प्रदूषण पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की दो नई रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि अस्वास्थ्यकर वातावरण के चलते एक-चौथाई बच्चों की मौत हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र समाचार केंद्र ने सोमवार को नवीनतम जानकारी के हवाले से बताया कि प्रदूषित वातावरण पांच साल से कम उम्र के 17 लाख बच्चों की जान ले लेता है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्गरेट चान ने कहा, “घातक चीजों में से प्रदूषित वातावरण एक है..विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए।” उन्होंेने यह भी कहा कि विकसित हो रहे अंग व प्रतिरक्षा प्रणाली और छोटा शरीर व एयरवेज उन्हें विशेष रूप से प्रदूषित हवा और पानी के प्रति अति संवेदनशील बनाते हैं।
वायु प्रदूषण के चलते हर साल पांच वर्ष की आयु से कम 570,000 बच्चों की मौत हो जाती है, प्रदूषित हवा से मस्तिष्क का विकास रुक सकता है, फेफड़ों के कार्य को प्रभावित कर सकता है, इससे दमा रोग हो सकता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बच्चे को दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है और इससे कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य श्रंखला के माध्यम से काम करने वाले हानिकारक रसायन जैसे, फ्लोराइड, सीसा व पारा और जलवायु परिवर्तन व सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें भी बच्चों के विकास को प्रभावित करती हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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