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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान: बलूचिस्तान में आजादी मांगने वाले 434 विद्रोहियों ने किया सरेंडर

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इस्लामाबाद। दक्षिणपश्चिम पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा शहर में शुक्रवार को 434 विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। जियो टीवी के मुताबिक, आजादी की मांग करने वाले इन विद्रोहियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए बलूचिस्तान में एक समारोह का भी आयोजन किया गया।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, इस दौरान बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री नवाब सनाउल्लाह जेहरी , सेना के वरिष्ठ अधिकारी, प्रांतीय मंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी मौजूद थे। ये आतंकवादी बलूच रिपब्लिक आर्मी, बलूच लिबरेशन आर्मी सहित विभिन्न आतंकवादी संगठनों से संबद्ध थे।

जेहरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रांतीय सरकार आत्मसमर्पण करने वालों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा, “यह हमारी राष्ट्रीय एवं नैतिक दायित्व है।” बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता अनवारुल हक कक्कड़ ने कहा कि अब तक 1,500 से अधिक आतंकवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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