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नेशनल

नीतीश का विकास मॉडल दलित विरोधी : शरद यादव

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बक्सर, 31 जनवरी (आईएएनएस)| जनता दल (युनाइटेड) से अलग हुए पूर्व सांसद शरद यादव ने यहां बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश का विकास मॉडल दलित विरोधी है।

जद (यू) के पूर्व अध्यक्ष शरद बुधवार को बक्सर जिले के नंदन गांव पहुंचे, जहां पिछले दिनों विकास समीक्षा यात्रा के दौरान नीतीश कुमार के काफिले पर लोगों द्वारा पथराव किया गया था। यहां पर यादव ने महापंचायत लगाई और नीतीश और केंद्र सरकार पर जमकर भड़ास निकाली।

उन्होंने नीतीश पर ईमान बेचकर सरकार चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के लोगों ने महागठबंधन को जनादेश दिया था, परंतु नीतीश ने उस जनादेश का अपमान किया है। नीतीश के विकास मॉडल को दलित विरोधी बताते हुए यादव ने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फ्लॉप है। शराबबंदी को लेकर केवल गरीबों को जेल भेज दिया जा रहा है।

उन्होंने बिहार में सरकार के सात निश्चयों को भी पूरी तरह असफल बताते हुए कहा कि बिहार में विकास के सारे काम ठप्प हैं।

उन्होंने नीतीश पर अहंकार में चूर होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में दलितों को अधिकार मांगने पर लाठियां चलवाई जा रही हैं। समय आने पर यहां की जनता नीतीश को जवाब देगी।

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों और नोटबंदी के कारण बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। जिन्हें रोजगार था वह भी अब बेरोजगार हो गए हैं। इस महापंचायत में पूर्व सांसद अली अनवर ने भी शिरकत की।

उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को नीतीश अपनी विकास समीक्षा यात्रा के दौरान नंदन पहुंचे थे, जहां ग्रामीणों ने उनके काफिले पर पथराव किया था। इस घटना के बाद इस गांव में नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।

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नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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