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नई खोजों में ‘गेट्स’ मददगार

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मानेसर (गुड़गांव)| विज्ञान की नवीन खोजों से समाज की काफी समस्याएं हल की जा सकती हैं, लेकिन जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहयोगी कई उपयोगी अनुसंधान आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते अधूरे रह जाते हैं। ऐसे में देश की बेहतरी के लिए शोध करने के इच्छुक शोधकर्ताओं को सहयोग देने के लिए गेट्स फाउंडेशन ‘ग्रैंड चैलेंजिज इंडिया’ कार्यक्रम के माध्यम से इसी दिशा में अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत है।

बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल, जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने वर्ष 2013 में संयुक्त रूप से ‘ग्रैंड चैलेंजिस इंडिया’ कार्यक्रम का आगाज किया था। भारत में अभिनव स्वास्थ्य एवं विकास अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना केवल भारतीय अनुसंधानकर्ताओं के लिए है। इसके तहत अब तक ‘अचीविंग हेल्दी ग्रोथ थ्रू ऐग्रीकल्चर एंड न्यूट्रीशन’ तथा ‘रिइन्वेंट द टॉयलेट चैलेंज’ के माध्यम से देशभर से 10 शोधकर्ताओं एवं सामाजिक उद्यमियों को वित्तीय मदद दी जा चुकी है।

बच्चों की मृत्युदर को देखते हुए इस वर्ष थीम बच्चों पर आधारित है- ‘ऑल चिल्ड्रन थ्राइविंग’। इसकी मदद से शोधकर्ता बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपने शोध को अगले पायदान तक ले जाने में सक्षम होंगे। भारत में, हर साल लगभग 2.60 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं। हर साल इनमें से लगभग 12.70 लाख बच्चों की 5 वर्ष की आयु से पहले ही मौत हो जाती है। इनमें से 81 प्रतिशत बच्चे जन्म लेने के एक वर्ष के भीतर ही मर जाते हैं। इनकी तादाद करीब साढ़े दस लाख है।

पांच वर्ष की आयु से पहले मरने वाले बच्चों में से 57 प्रतिशत अपने जीवन के पहले ही महीने में मर जाते हैं, जिनकी तादाद 7.30 लाख है। ‘ऑल चिल्ड्रन थ्राइविंग’ अनुदान का लक्ष्य बहु-क्षेत्रीय आविष्कारों को विकसित करना है जो समयपूर्व जन्म, जन्म के बाद अवरुद्ध विकास और कमजोर मानसिक विकास की समस्या को दूर कर सके। ‘ऑल चिल्ड्रन थ्राइविंग’ के विजेताओं को वित्तीय सहयोग के लिए मानेसर, गुड़गांव के हैरिटेज विलेज रिसॉर्ट में 15 सितंबर को चौथी इनोवेटर्स मीटिंग में प्रमाणपत्र दिए गए। भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव डॉ. के विजय राघवन ने ये पुरस्कार प्रदान किए।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में ग्लोबल हेल्थ डिवीजन के अध्यक्ष ट्रेवर मुडेंल ने कहा, “विकासशील समाज में आविष्कार केंद्रीय भूमिका निभाता है। अनुसंधान व विकास को प्रोत्साहित व पोषित करना जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बेहद अहम है। ‘गैंड्र चैलेंजिज’ आविष्कारकों को एक मंच मुहैया कराता है, जहां वे किफायती व स्थायी विधियां विकसित कर सकते हैं।”

बीआईआरएसी की प्रबंध निदेशक डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा, “भारत दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां बाल मृत्युदर और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। देश में जिंदगियों को बेहतर बनाने का हमारा ध्येय केवल नवप्रवर्तन को अपनाने से ही संभव होगा। चयनित प्रस्ताव हस्तक्षेपों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे सेहतमंद जीवन जीएं।”

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नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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