प्रादेशिक
त्रिपुरा : उग्रवादी संगठन त्रिपक्षीय वार्ता को तैयार
अगरतला| त्रिपुरा का उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) केंद्र और त्रिपुरा सरकार के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हो गया है। वार्ता चार अप्रैल को शिलांग में होगी। एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को बताया, “केंद्र और त्रिपुरा सरकार के अधिकारियों तथा एनएलएफटी के सदस्यों के बीच वार्ता चार अप्रैल को शिलांग में होने की संभावना है।” त्रिपुरा के गृह मंत्रालय के अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “एनएलएफटी के स्वयंभू कमांडर विश्वमोहन देबवर्मा ने कुछ महीने पहले केंद्र सरकार से बातचीत की इच्छा जताई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से राय मांगी थी। त्रिपुरा की सरकार ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।”
त्रिपुरा की सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा कि वह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के उग्रवादियों के किसी भी कदम का स्वागत करती है। त्रिपुरा में सक्रिय दो उग्रवादी संगठन एनएलएफटी और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) बांग्लादेश से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं। वे वहां हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं। दोनों संगठनों पर वर्ष 1997 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। एटीटीएफ के अधिकांश सदस्यों ने त्रिपुरा में आत्समर्पण कर दिया, जिसके बाद राज्य में इनकी उपस्थिति न के बराबर रह गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, असम के पांच, मणिपुर के दो और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के सभी तीन धड़ों का फिलहाल केंद्र सरकार के साथ संघर्ष-विराम समझौता है।
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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक
अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।
इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।
हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।
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