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अन्तर्राष्ट्रीय

तहमीना जांजुआ पाक की पहली महिला विदेश सचिव नियुक्त

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tehminajanjuaइस्लामाबाद। पाकिस्तान ने सोमवार को तहमीना जांजुआ को विदेश सचिव नियुक्त किया। तहमीना देश में यह शीर्ष राजनयिक पद संभालने वाली पहली महिला हैं। वह एजाज चौधरी की जगह लेंगी, जिन्हें वाशिंगटन में पाकिस्तान के नए राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है।

विदेश विभाग के बयान में कहा गया है कि जांजुआ वर्तमान में जेनेवा संयुक्त राष्ट्र में देश की स्थायी प्रतिनिधि और दूत के रूप में सेवाएं दे रही हैं। वह 2017 के मार्च के पहले सप्ताह में यह पदभार संभाल लेंगी।

वह 29वीं विदेश सचिव होंगी। जांजुआ ने कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय, इस्लामाबाद और कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से मास्टर डिग्री ली है। उन्हें 32 साल का राजनयिक अनुभव है।

वह साल 2011 में पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता रही हैं। जांजुआ ने दिसंबर 2011 से अक्टूबर 2015 तक इटली में पाकिस्तान के राजदूत के तौर पर सेवा दी है।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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