अन्तर्राष्ट्रीय
ट्रंप ने उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, राष्ट्रपति पद के सहायक नामित किए
न्यूयॉर्क | अमेरिका के भावी राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कैथलीन ट्रोइया मैक्फार्लैड को भावी उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और डोनाल्ड एफ. मैक्गॉन को राष्ट्रपति व व्हाइट हाउस का सहायक नामित किया है। इन नियुक्तियों की घोषणा न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति के ट्रांजिशन कार्यालय ने की। हालांकि इस दौरान वह थैंक्सगिविंग डे के अवकाश के लिए फ्लोरिडा में थे।
मैक्फार्लैड की नियुक्ति के लिए सीनेट की मंजूरी लेनी आवश्यक नहीं है। वह सेवानिवृत्त जनरल माइकल फ्लायन के तहत कामकाज करेंगी। माइकल को ट्रंप ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में चुना है और इस पद के लिए कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की मंजूरी लेना आवश्यक है।
मौजूदा समय में कैथलीन फॉक्स न्यूज टेलीविजन नेटवर्क की सुरक्षा विश्लेषक हैं।
इस संदर्भ में जारी बयान में ट्रंप ने कैथरीन के बेहतरीन अनुभव और उनकी सहज प्रतिभा का हवाला दिया है।
वहीं, दूसरी ओर मैक्गॉन वाशिंगटन की कानूनी फर्म में साझेदार रहे हैं। उन्होंने चुनावी प्रचार के दौरान ट्रंप के सलाहकार के रूप में काम किया है।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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