अन्तर्राष्ट्रीय
जर्मन संस्करण शुरू करने जा रहा ‘शार्ली हेब्दो’
पेरिस | व्यंग्यात्मक फ्रांसीसी साप्ताहिक ‘शार्ली हेब्दो’, जिसके पेरिस कार्यालय को जनवरी 2015 में जिहादियों द्वारा निशाना बनाया गया था, दिसंबर में एक जर्मन संस्करण शुरू करने जा रहा है। ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अुनसार, शार्ली हेब्दो की प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि पत्रिका 2015 में हुए हमले के बाद मिले समर्थन के आभार स्वरूप अगले सप्ताह जर्मन भाषा में दो लाख प्रतियां छापेगी।
जर्मन संस्करण एक दिसंबर को शुरू होगा और उसमें मुख्य रूप से फ्रांसीसी भाषा से अनूदित लेख और कार्टून्स होंगे।
प्रवक्ता ने कहा, संपादक जर्मन कार्टूनिस्टों के साथ समन्वय करके जर्मन सामग्री छापने पर भी विचार कर रहे हैं।
जर्मन संस्करण की कीमत चार यूरो होगी और यह पूरे जर्मनी में उपलब्ध होगा।
जर्मनी के नागरिकों ने ‘शार्ली हेब्दो’ के जीवित बचे संपादकीय कर्मचारियों द्वारा हमले के एक सप्ताह बाद प्रकाशित संस्करण की 70,000 प्रतियां खरीदी थीं।
करीब दशक भर पुरानी पत्रिका के पेरिस में स्थित कार्यालयों पर हुए हमले में फ्रांस के कुछ विख्यात कार्टूनिस्टों समेत 12 लोगों की मौत हो गई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत
नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।
यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।
स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।
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