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जगेंद्र हत्या मामले में केंद्र, राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का निर्देश देने संबंधित अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए। आरोप है कि पत्रकार की हत्या उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर की गई।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. वाई. इकबाल और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं। भारतीय प्रेस परिषद को भी नोटिस जारी किया गया है। न्यायालय ने राज्य एवं केंद्र सरकार तथा प्रेस परिषद से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी. अग्रवाल ने न्यायालय से मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने की गुहार लगाई।

जनहित याचिकाकर्ता डी. एस. जैन ने भी न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इस संबंध में दिशा-निर्देश तय करे और निर्देश जारी करे कि पत्रकार की अस्वाभाविक मौत से संबंधित मामले की जांच इलाके के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की निगरानी में हो। गौरतलब है कि जगेंद्र को मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जला दिया गया था। आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मंत्री के इशारे पर पुलिस ने ऐसा किया। बुरी तरह झुलसने के कारण जगेंद्र की आठ जून को मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि जगेंद्र ने कथित तौर पर अवैध खनन एवं जबरन भूमि कब्जा करने से जुड़ी गतिविधियों के बारे में फेसबुक पर लिखने के कारण उन्होंने मंत्री की नाराजगी मोल ले ली।

याचिककर्ता ने कहा कि जगेंद्र को वर्मा से अपनी जान को खतरे की आशंका थी, जिसे उन्होंने 22 तारीख के लिखे अपने फेसबुक पोस्ट में भी व्यक्त की थी। जनहित याचिका में कहा गया, “तमाम सबूतों के बावजूद मामले में राज्य पुलिस ने एक भी गिरफ्तारी नहीं की और ऐसी संभावना भी है कि वे सबूत नष्ट कर दें।” जनहित याचिका में आगे कहा गया है, “भारत में पत्रकारों की सुरक्षा को लंबे समय से गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, खासकर छोटे कस्बों में काम करने वाले पत्रकारों की जहां स्थानीय अधिकारी अपनी शक्ति का असीम उपयोग कर सकते हैं।”

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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