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गांवों के लिए कम खर्चीला जल शोधक

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बेंग्लुरू | शहर हो या गांव आज के समय में शुद्ध पेयजल की समस्या हर जगह है। शहरी आबादी जल शोधकों का खर्च वहन करने मे समर्थ होती है, लेकिन ग्रामीण आबादी की पहुंच वहां तक नहीं है। लेकिन अब एक साड़ी, कुछ शीशे की पाइपों और असानी से उपलब्ध धूप से बनी नवीन प्रणाली से ग्रामीण भी कम खर्च में शुद्ध पेयजल हासिल कर सकते हैं।

महाराष्ट्र के फाल्टन में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन, निंबकर कृषि शोध संस्थान (एनएआरआई) में इस सौर जल शोधक का विकास करने वालों ने बताया कि इस अनोखे कम खर्चीले सौर जल शोधक (एसडब्ल्यूपी) के लिए बिजली की जरूरत नहीं है। इसे ग्रामीण कारीगर बना सकते हैं। एनएआरआई के निदेशक, अनिल राजवंशी ने बताया, “व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध जल शोधकों से इतर एसडब्ल्यूपी में फिल्टर में बाधा या पानी बर्बाद होने जैसी समस्याएं नहीं है।” पानी में मौजूद रोगजनक बैक्टीरिया खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका उबालना है, लेकिन पानी उबालने के लिए बिजली या अन्य ईंधन की जरूरत होती है।

राजवंशी ने बताया, “हमारे शुरुआती अध्ययनों से पता चला कि पानी केवल 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान तक गर्म होता है, और यह तापमान एक घंटे तक रहता है। 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म किया हुआ पानी तीन घंटे तक गर्म रहने पर कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से पूरी तरह मुक्त हो जाता है।” पानी में कोलीफॉर्म की मौजूदगी यह इशारा करती है कि इसमें रोगजनक कीटाणु मौजूद हैं। राजवंशी की टीम ने पानी की शुद्धि के लिए सूती कपड़े के एक टुकड़े (साड़ी) को चार बार मोड़ा। ‘करंट साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एनएआरआई के शुरुआती शोध में बताया गया है कि चार बार मोड़ा गया सूती कपड़ा बेहतर जल शोधक काम करता है। फिल्टर किए पानी को जीवाणुरहित बनाने के लिए टीम ने सौर ऊर्जा का प्रयोग किया। एनएआरआई की शोधक प्रणाली में चार झुके हुए ट्यूबलर सौर जल हीटर हैं, जो एक मेनीफोल्ड से जुड़े हैं, जिनमें साड़ी से फिल्टर किया हुआ पानी आता है। ट्यूब में आने वाला पानी धूप से गर्म होता है। हर ट्यूब की क्षमता तीन लीटर है।  राजवंशी ने बताया, “ट्यूब ठोस कांच से बने हैं।”

उन्होंने बाया, “ट्यूब में मौजूद पानी गर्म हो जाता है और ट्यूब लंबे समय तक पानी का तापमान बनाए रखते हैं, जो पानी में मौजूद जीवाणु खत्म करने के लिए पर्याप्त है।” राजवंशी ने बताया, “एनएआरआई द्वारा तैयार इस जल शोधक पर पिछले एक साल में किए गए परीक्षणों से पता चला कि पूरे दिन बादल छाए रहने और बारिश वाले दिन भी पान गर्म हुआ और यह पीने योग्य था।”  राजवंशी ने बताया कि पिछले एक साल में एक-दो प्रणालियों से एनएआरआई ने लगभग 30 लीटर पानी को पीने योग्य बनाया। एनएआरआई अब इस तकनीक की क्षमता बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है, ताकि इससे 30,000 से- 40,000 लीटर पानी पीने योग्य बनाया जा सके।

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मध्य प्रदेश: विधायक हजारीलाल दांगी के पोते ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, LLB की कर रहा था पढ़ाई

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इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में खिलचीपुर से भाजपा विधायक हजारीलाल दांगी के पोते विजय दांगी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पुलिस को उसके पास से दो पेज का सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट के अनुसार उसका अपने दोस्त से विवाद चल रहा था, जिसके चलते उसने ये कदम उठाया है।

मृतक का नाम विजय बताया जा रहा है। सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि ‘मैं अपनी मर्जी से मर रहा हूं घरवालों को परेशान ना करें’, मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है। पुलिस के मुताबिक मृतक विजय की उम्र 19 साल बताई जा रही है।

मृतक विजय इंदौर के गांधी नगर थाना क्षेत्र में रहकर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। सुसाइड के पीछे दोस्ती का कारण सामने आ रहा है। पुलिस के मुताबिक शव को सोमवार रात को ही पीएम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। पोस्टमार्टम के बाद विजय का शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। यहां विधायक के रिश्तेदार भी पहुंच चुके हैं। विजय के परिवार जनों का रो रो कर बुरा हाल है, उन्हे समझ ही नहीं आ रहा उसने ऐसा कदम क्यों उठाया। विजय ने अपने सुसाइड नोट में घर वालों से माफी मांगी है। विजय का एक बड़ा भाई और है जो एमबीए की पढ़ाई कर रहा है।

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