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केन्या 1996 के बाद पहली बार विश्व कप से अनुपस्थित

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नैरोबी | ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में जारी 11वें आईसीसी विश्व कप के लिए जहां दुनिया की 14 टीमें एक-दूसरे को चुनौती पेश कर रही हैं वहीं, 1996 से लगातार विश्व कप खेल रही केन्या इस बार विश्व कप से बाहर है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में 1996 में संयुक्त रूप से आयोजित हुए विश्व कप में केन्या ने पहली बार हिस्सा लिया। उसके बाद यह पहला मौका है जब पूर्वी अफ्रीका की यह टीम किसी विश्व कप में नहीं खेल रही।

केन्याई टीम ने 1994 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से संबद्ध देशों के क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में उपविजेता रहते हुए पहली बार विश्व कप में जगह हासिल की थी। केन्या के लिए सबसे सफल विश्व कप 2003 का रहा जब टीम आश्चर्यजनक रूप से सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही। यह विश्व कप दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और केन्या द्वारा आयोजित किया गया था। केन्या ने इस संस्करण में टेस्ट खेलने वाली तीन टीमों श्रीलंका, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे को परास्त किया।

केन्या के पूर्व कप्तान आसिफ करीम ने सोमवार को कहा, “टीम का प्रदर्शन लंबे समय से काफी निराशाजनक रहा है और इसमें लगातार और गिरावट ही आ रही है। प्रबंधन के स्तर पर नाकामी और देश में क्रिकेट की खराब सुविधाएं भी इसका बड़ा कारण है।” केन्या का दर्जा घटा कर फिलहाल उसे फिर से संबद्ध देशों की सूची में शामिल कर दिया गया है जहां वह दूसरे दर्जे की टीमों जैसे नीदरलैंड्स, कनाडा, नेपाल और युगांडा के समकक्ष खेलती है।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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