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कासगंज में 2 दिन बाद भी जारी है हिंसा, कमिश्नर बोले- नहीं लगेगा कर्फ्यू

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के बाद से शुरू हुई हिंसा ने अबतक थमने का नाम नहीं लिया है। यहां शनिवार को भी उपद्रवियों ने शहर में कई जगह आगजनी की घटनाएं की और माहौल बिगाड़ने की साजिशें रची।

इतना ही नहीं बल्कि आज आज सुबह भी उपद्रवियों ने एक दुकान में आग लगा दी। अभी तक इस मामले में कुल 49 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

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इस मामले के फैलने के बाद पूरी पुलिस व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीँ इसपर अलीगढ़ रेंज के कमिश्नर का कहना है कि यहां कर्फ्यू वाली स्थिति है ही नहीं। उन्होनें कहा, ‘जान-माल का नुकसान ही नहीं है तो कर्फ्यू क्यों लगाया जाये।’जबकि इस हिंसा में चंदन नाम के युवक की मौत हो गई है, तो वहीँ कुछ अन्य लोग घायल भी हुए हैं।

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ये है पूरा मामला-

कासगंज में शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली थी। आरोप है कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने बाइक पर निकली तिरंगा यात्रा पर पथराव किया जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। कासगंज के जिला अधिकारी आर पी सिंह ने बताया कि तिरंगा यात्रा की कोई परमीशन नही ली गयी थी।

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प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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