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प्रादेशिक

कावेरी का 50 फीसदी पानी बर्बाद करता है बेंगलुरू

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कावेरी

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कावेरीएलिसन सल्दान्हा 

कर्नाटक कावेरी नदी से जल छोड़ने को लेकर जहां अदालत में है, वहीं पूरी तरह कावेरी के जल पर आश्रित राजधानी बेंगलुरू कावेरी से मिला आधा जल बर्बाद कर देता है।  भारत सरकार के जल-उपयोग आंकड़ों के विश्लेषण से इंडियास्पेंड ने यह खुलासा किया है। जल की बर्बादी के मामले में सिर्फ कोलकाता ही बेंगलुरू से ऊपर है, हालांकि बेंगलुरू में भी स्थिति में और गिरावट होती दिख रही है।

भारत के तीसरे सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहर बेंगलुरू में 85 लाख लोग रहते हैं, जहां प्रत्येक व्यक्ति को 150 लीटर पानी प्रतिदिन मिलना चाहिए। लेकिन हर व्यक्ति को यहां सिर्फ 65 लीटर पानी ही प्रतिदिन मिल पाता है, जो चार बार शौचालय का फ्लश इस्तेमाल होने में खर्च हो जाता है। बेंगलुरू में औसतन एक सप्ताह में तीन बार जल की आपूर्ति होती है।

अनुमान के मुताबिक, अगले नौ वर्षो में बेंगलुरू में जल की मांग आपूर्ति की तुलना में तीन गुनी हो जाएगी। कर्नाटक की कुल आबादी की तुलना में बेंगलुरू का जनसंख्या घनत्व 13 गुना अधिक है, लेकिन कर्नाटक में घरेलू उपयोग के लिए भंडार किए गए कुल जल का 50 फीसदी अकेले बेंगलुरू खर्च करता है।

लेकिन सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि बेंगलुरू जलापूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के अनुसार, बेंगलुरू को आपूर्ति होने वाले इस जल का 49 फीसदी ‘गैर-राजस्व’ या ‘बेहिसाबी’ माना जाता है, मतलब आपूर्ति के दौरान बर्बाद होने वाला पानी।

बेंगलुरू के ही सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन संस्थान (आईएसईसी) में सहायक प्राध्यापक और बेंगलुरू में जलापूर्ति प्रणाली पर 2013 में लघु शोध-पत्र तैयार करने वाले कृष्ण राज ने इंडियास्पेंड को बताया, “शहर के विभिन्न हिस्सों में असामान्य जलापूर्ति स्थिति को और भी भयावह बना देती है।”

आईएसईसी के अनुसार दुनिया के बड़े महानगरों में जलापूर्ति के दौरान होने वाली यह बर्बादी 15 से 20 फीसदी के बीच है, लेकिन तीन साल पहले बेंगलुरू में यह 48 फीसदी था। बीडब्ल्यूएसएसबी के पूर्व चेयरमैन टी. एम. विजयभास्कर भी इसी वर्ष फरवरी में एक सम्मेलन के दौरान 46 फीसदी जल के बर्बाद होने की बात स्वीकार कर चुके हैं।

कृष्ण राज के अनुसार, “कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अनुसार, कर्नाटक को प्रति वर्ग किलोमीटर के हिसाब से कहीं कम जल मिलता है। कर्नाटक में जहां 100 करोड़ क्यूबिक फिट (1 टीएमसी) जल 134 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वितरित होता है, वहीं इतना ही जल तमिलनाडु में सिर्फ 116 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वितरित किया जाता है।”

उत्तर प्रदेश

सीएम योगी का विपक्ष पर हमला, कहा- आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा

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गोरखपुर। सीएम योगी ने शुक्रवार को गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद और भाजपा प्रत्याशी रविकिशन शुक्ल के नामांकन के बाद, उनके पक्ष में महंत दिग्विजयनाथ पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के मतदान तक हताश हो चुके विपक्ष के नेता अब भगवान राम पर टिप्पणी करने लगे हैं। कोई कहता है कि राम मंदिर बेकार है तो कोई कहता है कि राम मंदिर से जनता को क्या लाभ है। योगी ने कहा कि आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरे चरण में लोकसभा का चुनाव अब उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां विपक्ष ने हार मान ली है। कांग्रेस, सपा बसपा सबने हार स्वीकार कर ली है। तीन चरणों में 285 सीटों पर यानी पूरे देश के अंदर आधा चुनाव संपन्न हो चुका है। योगी ने कहा कि चुनाव प्रचार में देश के अंदर उन्हें नौ राज्यों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ है। पूरे देश के अंदर एक ही स्वर गूंज रहा है, “फिर एक बार मोदी सरकार”। देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। हम उनको लाएंगे जिन्होंने रामराज की परिकल्पना को साकार किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए आज के विपक्ष ने राम जन्मभूमि पर आतंकी हमला करने वालों के खिलाफ, माफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए होते तो संकटमोचन मंदिर और कचहरी पर आतंकी हमले नहीं होते। आतंकवाद के मुद्दे पर घुटना टेकने की नीति का दुष्परिणाम रहा कि इन हमलों में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। रामराज का मतलब सबका सम्मान, सबकी सुरक्षा, सबका विकास और गरीब कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर तबके को बिना भेदभाव प्राप्त होना है।

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