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एनसीआर में शामिल होगा मथुरा!
मथुरा। मथुरा सहित पश्चिमी यूपी के छह शहर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल हो सकते हैं। इस पर विचार के लिए संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश सरकार ने संबंधित जनपदों के अफसरों को 13 जनवरी को लखनऊ तलब किया है। इसमें मथुरा के साथ हाथरस, अलीगढ़, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और शामली शामिल हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान का शहर भरतपुर लंबे समय से एनसीआर में शामिल है। जबकि 150 किलोमीटर से भी कम के दायरे में आने के बावजूद मथुरा सहित कई शहरों को एनसीआर में शामिल नहीं किया गया। इसी को आधार बनाते हुए कई शहरों से एनसीआर में शामिल किए जाने की आवाज उठ रही थी। खासकर मथुरा को एनसीआर में शामिल कराने की मुहिम लम्बे समय से चल रही है। मथुरा से सांसद रहे जयंत चौधरी और कुंवर मानवेंद्र सिंह ने भी इसके लिए काफी कोशिश की लेकिन सरकार में रहते हुए भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी।
सांसद हेमामालिनी ने भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में इस संबंध में प्रस्ताव दिया था। अब प्रदेश सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस आशय का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के लिए संबंधित जनपदों के अफसरों को संयुक्त सचिव प्रेमशंकर ने 13 जनवरी को लखनऊ बुलाया है। यहां प्रमुख सचिव आवास एवं नियोजन की अध्यक्षता में बैठक होगी। इसमें गाजियाबाद के कमिश्नर, हाथरस, बिजनौर और शामली के डीएम, मथुरा, अलीगढ़ और मुजफ्फर नगर के विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और मुख्य नगर एवं ग्राम्य नियोजक शामिल होंगे।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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