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प्रादेशिक

एईएस से 6 साल में साढ़े छह हजार से ज्यादा मौतें

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– सबसे अधिक मौतें (3,442) उत्तर प्रदेश में हुईं

पटना। बिहार में हर साल गर्मी के मौसम में कई बच्चों की मौत एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) नामक बीमारी से हो जाती है। सूचना के अधिकार (आटीआई) के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से मांगी गई जानकारी से यह बात सामने आई है। मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि देश में पिछले छह वर्षो के दौरान एईएस से 6,867 लोगों की मौत हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में एईएस से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (3,442) में हुई हैं।

केंद्रीय मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षो में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से 3000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। देश के विभिन्न राज्यों में एईएस से पिछले वर्ष जहां 1711 रोगियों की मौत हुई थी, वहीं वर्ष 2013 में 1273 और वर्ष 2012 में 1256 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बिहार के एईएस से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र मुजफ्फरपुर के निवासी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे अभिषेक रंजन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दिनों देश के एईएस से सर्वाधिक प्रभावित 60 जिलों की पहचान कर वहां रोग से बचने के उपाय शुरू किए गए हैं। इसमें कई मंत्रालयों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत इन सभी जिलों में बच्चों के लिए 10 बिस्तरों वाले अस्पताल की स्थापना की जा रही है तथा टीकाकरण एवं लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में एईएस से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (3,442) में हुई हैं। इस अवधि में असम में 1320, बिहार में 1072 और पश्चिम बंगाल में 736 लोगों को इस बीमारी के चपेट में आने से अपनी जान गंवानी पड़ी है। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुजफ्फरपुर, गया, सारण, सिवान सहित कई जिलों में प्रतिवर्ष एईएस से सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। पिछले तीन वर्षो से राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र की विशेषज्ञों की टीम तथा पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम एईएस से पीड़ित लोगों के खून के नमूने तथा कई अन्य प्रकार के नमूने की जांच के लिए आती है। यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों में होती है।

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गाजियाबाद में बीच सड़क पर चलती कार बनी आग का गोला, ड्राइवर ने कूदकर बचाई जान

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गाजियाबाद। गाजियाबाद में शनिवार को एक चलती कार में अचानक आग लग गई। आग बेहद भीषण थी और कुछ पलों में ही आग की तेज लपटों ने पूरी गाड़ी को घेर लिया। दोनों तरफ से ट्रैफिक चल रहा था इसी दौरान कार में ब्लास्ट भी हुआ। हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में ड्राइवर को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। उसने पहले से कार से कूदकर अपनी जान बचा ली।

मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। गनीमत रही कि घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। फायर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार को गाजियाबाद के फायर स्टेशन कोतवाली में दिन में 2 बजे चिरंजीव विहार के सामने हापुड़ रोड पर कार में आग की सूचना मिली।

सूचना मिलते ही फायर स्टेशन कोतवाली का एक फायर टेंडर यूनिट को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। घटनास्थल पर पहुंच कर फायर कर्मियों ने देखा कि गाड़ी से आग की लपटें काफी तेज हैं और आग पूरी गाड़ी में फैल चुकी है। फायर यूनिट ने शीघ्रता से होजलाइन फैलाकर फ़ायर फ़ाइटिंग कर आग को पूर्ण रूप से शांत किया। जानकारी के मुताबिक यह महिंद्रा कंपनी की केयूवी कार थी। गाड़ी डीजल की थी। गाड़ी के मालिक का नाम परवेज आलम है। वो गाड़ी से डासना की तरफ जा रहे थे।

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