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अहमद के निधन की संसदीय समिति से हो जांच : कांग्रेस
नई दिल्ली | कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेता व केरल से सांसद ई.अहमद के निधन की संसदीय समिति से जांच कराने की सोमवार को मांग की। सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और एक फरवरी को होने वाले केंद्रीय बजट से पहले दिग्गज सांसद के निधन को खबर को दबाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस सांसदों के साथ राहुल गांधी ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट प्रदर्शन किया। सांसदों के हाथों में तख्तियां थीं, जिनपर लिखे थे, ‘हम अहमद साहब हैं।’
संसद में एक फरवरी को होने वाले केंद्रीय बजट से कुछ घंटे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा आईयूएमएल के नेता अमहद को मृत घोषित कर दिया था।
विपक्ष ने कहा कि उनकी मौत एक दिन पहले ही हो चुकी थी, लेकिन मोदी सरकार ने इस खबर को दबाए रखा, ताकि बजट पेश करने में कोई बाधा न पहुंचे।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, “अहमद का निधन पहले ही हो चुका था, लेकिन उन्हें अनावश्यक रूप से जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया। वे सांसद के निधन की खबर को छिपाना चाहते थे और उनके निधन पर खामोश रहे। यही कारण है कि हम चाहते हैं कि उनके निधन की जांच के लिए एक संसदीय समिति का गठन किया जाए।”
उन्होंने कहा, “अहमद संसद के अति सम्मानीय सदस्यों में से एक थे। यदि इस सरकार के पास ऐसे शख्स के लिए कोई सम्मान नहीं है, तो क्या कहा जा सकता है। केवल एक संसदीय समिति सच सामने ला सकती है।”
इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने संसद के भीतर भी प्रदर्शन किया, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर तक स्थगित करनी पड़ी।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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