मुख्य समाचार
अफसरों के दोहरा मापदंड अपनाने से हो रही घटनाएं
4 साल पहले भी इसी जेल में पीटे गए थे अधीक्षक व अफसर
राकेश यादव
लखनऊ। वाराणसी जेल में शनिवार को एक बार फिर एक फरवरी 2012 की यादों को ताजा कर दिया। घटना में यदि कोई फर्क था तो वह कि उस समय अधिकारी दूसरे थे किंतु हालात बिलकुल यही थे। वाराणसी जेल में बंदियों के उपद्रव का मामला कोई नई बात नहीं है। यहां अधिकारी पीटे जाते है और बदले जाते है लेकिन हालात जस के तस ही बने रहते है। हकीकत यह है कि प्रदेश की इस अतिसंवेदनशील जेल में जेल अफसरों के बंदियों के प्रति दोहरा मापदंड अपनाने की वजह से घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। विभाग के मंत्री समेत अन्य उच्चाधिकारी सब कुछ जानकार चुप्पी साधे हुए है। शनिवार की सुबह एक बार फिर वाराणसी की जिला जेल बंदियों और अफसरों का अखाड़ा बन गई। मामला वहीं पुराना। गरीब व निरीह बंदियों का आरोप था कि जेल में तैनात अफसर बंदियों के साथ दोहरा मापदंड अपना रहे है। दबंग एवं असरदार बंदियों को मोटी रकम लेकर वह सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है जिनका जेल नियमों में कोई प्रावधान ही नहीं है वहीं गरीबों का खूलेआम शोषण किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक वाकया जेल में सुविधाओं को लेकर हुआ। जेल प्रशासन के अधिकारी दबंग एंव असरदार बंदियों की मुलाकात जेल के भीतर हाते में कराते हैं वहीं निरीह बंदियों को परेशान किया जाता है। इसी प्रकार दबंगों को अनाधिकृत वस्तुएं मुहैया कराई जाती है जबकि गरीबों की वैध वस्तुओं को तक को रोक दिया जाता है। इसी को लेकर कुछ बंदियों ने परेड का निरीक्षण करने गए डिप्टी जेलर से कहा तो उन्होंने उनकी शिकायत सुनने के बजाए उन्हें ही लताड़ना शुरू कर दिया। इसी बीच दोनों पक्षों में मारपीट हो गई। बंदियों ने एकजुट होकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया। हालात बदतर होता देख इसकी सूचना जिला एवं पुलिस प्रशासन को दी गई। जिसे जेल के हालात को सामान्य करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। बताया गया है ठीक इसी तरह बीत एक फरवरी 2012 को तत्कालीन जेल अधीक्षक कैप्टन एसके पांडे ने जब बंदियों को मनमानी सुविधाएं देने पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी उस वक्त भी बेकाबू बंदियों ने अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को पीट दिया था। इसके घटना के बाद हरकत में आए शासन ने आनन-फानन में इस बार की तरह की अधिकारियों को निलंबित करते हुए अन्य स्थानों पर तैनात कर दिया था। उधर इस बाबत जब महानिरीक्षक कारागर देवेंद्र सिंह चैहान से बात करने का प्रयास किया गया तो दिनभर उनका फोन व्यस्त मिला।
7 घंटे कैद रहे जेल अधीक्षक
जिला जेल के अधीक्षक आशीष तिवारी अपनी ही जेल में लगभग सात घंटे तक बंदी रहे। जिला प्रशासन ने बंदियों की कई मांग मान ली थी इसके बाद भी बंदी उन्हें रिहा कराने का तैयार नहीं हुए हैं। सुबह से ही जिला जेल में आईजी, डीआईजी, डीएम, एसएसपी, एसपी सिटी से लेकर जिले भर की फोर्स तैनात रही, फिर भी बंदियों की इच्छा के बाद ही जेल अधीक्षक को रिहा हो पाये।
अधीक्षक, जेलर निलंबित, बीडी पांडे को बनाया नया अधीक्षक
बंदियों के आक्रोश को देखते हुए डीएम वाराणसी ने वाराणसी जिला जेल के अधीक्षक आशीष तिवारी, जेलर विजय कुमार राय को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया। डीएम ने हालात का नियंत्रित करने के लिए जेल को प्रभार एसीएम चतुर्थ के हवाले कर दिया था। उधर घटना के बाद सकते में आए शासन के निर्देश मुरादाबाद में तैनात प्रोन्नति पाए अधीक्षक बीडी पांडे को जिला जेल में तबादला कर दिया। देर रात श्री पांडे ने जेल को प्रभार संभालने की संभावना जताई जा रही है।
जेलों में अब तक हुई कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
-29 जुलाई 2015 को मेरठ बच्चा जेल में क्रिकेट खेलने को लेकर दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई, जिसमें एक दर्जन घायल हुए थे।
-5 सितम्बर 2015 में जौनपुर जिला कारागार में बंदीरक्षकों की पिटाई से कैदी श्याम यादव की मौत के बाद जमकर बवाल हुआ, बंदीरक्षक समेत सात लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे।
-3 मार्च 2015 एटा जेल में सुबह कैदियों ने जमकर बवाल किया, बताया जाता है कि बैरक में चेंकिग के दौरान मोबाइल सिम मिलने पर उपद्रव शुरु हुआ था। इस घटना में कैदी और कई बंदीरक्षक घायल हुए थे।
-7 सितम्बर 2015 को मुजफ्फनगर कारागार के जेलर व डिप्टी जेलर को इसलिए निलम्बित कर दिया गया क्योंकि वह अपराधियों को सुविधा शुल्क लेकर मदद करते थे। डीएम की जांच के बाद कार्रवाई हुई थी।
-3 अक्टूबर 2015 फिरोजाबाद जिला कारागार में कैदी की मौत के बाद जमकर बवाल हुआ। कैदियों को बंदी रक्षकों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। दर्जनों की संख्या में कैदी घायल हुए थे।
-8 अगस्त 2013 में कन्नौज जिला कारागार में कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद हंगामा हुआ, बंदी का आरोप था सुविधा शुल्क न देने पर बंदियों के साथ बदसलूकी करते थे।
-21 मार्च 2012 को मऊ जेल में साथी की मौत के बाद कैंदियों ने जमकर खूनी खेल खेला था। कैदियों ने डिप्टी जेलर पर आरोप लगाते हुए उन पर पथराव किया।
-10 मार्च 2012 बस्ती जेल में बवाल हुआ तो कैदियों का हमला पहले जेल प्रशासन ने झेला और इसके बाद पुलिस से भी झड़प हुई, इस मामले में आगजनी-तोड़फोड़ करने वाले चार सौ कैदियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ,लेकिन जांच रिपोर्ट के आधार पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना में एक कैदी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
नेशनल
पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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