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यूपी: ऊंची बिल्डिंगों पर लगाए जाएंगे लाइटनिंग अरेस्टर्स, आसमानी बिजली को करेंगे काबू

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लखनऊ। आपदा में प्रदेश के लोगों के लिए कवच की तरह काम करने वाली योगी सरकार ने अब प्रदेश में लोगों को आसमानी बिजली से होने वाले जनधन के नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। योगी सरकार प्रदेश में ऊंची बिल्डिंगों पर लाइटनिंग अरेस्टर्स या लाइटनिंग रॉड लगाने जा रही है, जो खराब मौसम में आसमानी बिजली को आकर्षित कर उसे सीधे जमीन के अंदर पहुंचा देगी। इससे न सिर्फ लोगों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को भी रोका जा सकेगा।

ऊंची बिल्डिंगों पर लगाई जाएगी लाइटनिंग रॉड

हाल ही में राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष लाइटनिंग अरेस्टर्स को लेकर प्रस्तुतिकरण में इसके लाभ के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 2022-23 में उत्तर प्रदेश के 52 जिलों में बिजली गिरने से 301 लोगों की मृत्यु हो गई थी। वहीं 2023-24 में जुलाई तक 36 जिलों में 174 जानें बिजली गिरने की वजह से जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि पहले सोनभद्र जैसे जिलों में बिजली गिरने से काफी मौतें होती थीं, लेकिन अब गाजीपुर जैसे जिले इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में हमने जिलों से रिपोर्ट मांगी है कि उनके यहां कहां पर यह लाइटनिंग रॉड लगाई जा सकती है। प्रस्ताव के अनुसार यह लाइटनिंग अरेस्टर या लाइटनिंग रॉड सबसे ऊंची बिल्डिंगों पर लगाई जा सकती है।

क्या है लाइटनिंग अरेस्टर्स या लाइटनिंग रॉड?

एक लाइटनिंग रॉड या लाइटनिंग कंडक्टर एक धातु की छड़ है जो एक संरचना पर लगाई जाती है और इसका उद्देश्य संरचना को बिजली के हमले से बचाना है। यदि बिजली किसी संरचना से टकराती है तो यह सीधे रॉड पर हमला करेगी और संरचना से गुजरने के बजाय यह रॉड उसे एक तार के माध्यम से जमीन के अंदर ले जाएगी और संरचना को नुकसान होने से बचा लेगी। इसके माध्यम से बिजली को कहीं भी गिरने से रोका जा सकेगा, जिससे बड़ी संख्या में होने वाली जनधन की हानि को बचाया जा सकेगा।

कैसे काम करेंगे लाइटनिंग अरेस्टर्स?

जब कहीं बिजली गिरती है तो यह एक बड़ा विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बनाती है जो पास की प्रवाहकीय सामग्री जैसे विद्युत तारों और पाइपलाइन में उच्च वोल्टेज को प्रेरित कर सकती है। यह उच्च वोल्टेज संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है और संभावित रूप से अंदर और आसपास उपस्थित लोगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। एक लाइटनिंग अरेस्टर या लाइटनिंग रॉड बिजली के प्रवाह को संरचना से दूर और जमीन में एक कम प्रतिरोध पथ प्रदान करती है। यह बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करता है और संरचना के अंदर या आसपास उपस्थित लोगों को बिजली के झटके से बचाने में भी मदद करती है।

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अयोध्या : बड़े हो गए राम मंदिर प्रांगण में लगाए गए कोविदार के वृक्ष, फोटो की गई जारी

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अयोध्या। अयोध्या के निर्माणाधीन श्री राममंदिर प्रांगण में लगाये गये कोविदार वृक्ष बढ रहे है। आज पहली बार समस्त श्रद्धालु सनातनी हिंदुओ हेतु इन कोविदार वृक्षों की फ़ोटो जारी की गई है जिन्हे देखने की मांग लंबे समय से की जा रही थी।

कोविदार के अयोध्या के राजचिह्न होने के प्रमाण वाल्मिकी रामायण के 84 वें और 96 वें सर्ग में मिलता है। अयोध्या शोध संस्थान के शोध प्रकल्प पर कार्य करते हुये इंडोलाजिस्ट ललित मिश्र के प्रयत्न से मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन श्री नृप्रेंद्र मिश्र की संस्तुति पर कोविदार के पौधे रोपे गये थे। इस प्रकार श्री राम की राजधानी अयोध्या की खोई हुई विरासत को कलियुग में संरक्षित किया जा सका|

कालिदास से लेकर तुलसीदास जी तथा रामायण पर टीवी सीरियल बनाने वाले रामानंद सागर भी उस कोविदार वृक्ष को जो अयोध्या के ध्वज को सुशोभित करता था, पहचान नहीं पाये थे। कुबेर टीले में कुल छह हरे भरे कोविदार वृक्ष लहरा रहे हैं जिनकी उंचाई छ से आठ फ़ीट तक हो चुकी है। कोविदार सबसे तेजी से बढने वाले पौधों में गिना जाता है।

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