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अखिलेश पर सीएम योगी का तंज- 05 साल पहले ही जनता ने ठंडा कर दिया सपा मुखिया का खून
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पूर्व ही लड़ाई 80 बनाम 20 से घटकर 90 बनाम 10 रह गई है। जनता की पसंद डबल इंजन की ‘दमदार सरकार’ है, न कि माफियाओं के पीछे छिपने वाली ‘दुमदार’ सपा। शनिवार को शामली में जनता से मुखातिब योगी ने कहा सपा मुखिया इन दिनों अपने ‘गरम खून’ की बात करते हैं, लेकिन इनका खून गरम होता तो सपा राज में मुजफ्फरनगर दंगा नहीं होता। इनके गरम खून को जनता ने 05 साल पहले ही ठंडा कर दिया है। सीएम ने कहा है कि आज के उत्तर प्रदेश में बम नहीं फटता अब तो कांवड़ यात्रा निकलती है और हर-हर बम-बम गूंजता है।
शामली और थानाभवन क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में आयोजित जनसभा में सीएम योगी ने अपने 05 साल का हिसाब-किताब दिया तो पूर्व की सपा और बसपा सरकारों की कलई भी खोली। योगी ने कहा कि सपा का विकास ‘कब्रिस्तान की बाउंड्री’ तक ही रहा, सो उन्हें वोट भी वहीं मांगना चाहिए। एयरपोर्ट बनाना, एक्सप्रेस-वे बनाना, किसानों को सम्मान निधि देना कभी सपा के एजेंडे में रहा ही नहीं। वह लोग जब भी सत्ता में रहे, अपराधियों को पोसा और दंगा कराया। अखिलेश राज में हुए मुजफ्फरनगर के दंगों की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि सचिन और गौरव जैसे भाइयों का कसूर क्या था..? केवल अपने बहन की सुरक्षा के लिए पूछने गए थे, बदले में सपा के गुंडों ने दोनों की हत्या कर दी। 2017 में भाजपा सरकार आई और आज बेटियों के अपराधी गले में तख्ती लटकाकर जान की भीख मांगते हुए थानों के चौखट पर दिखते हैं। कैराना और कांधला के पलायन का दर्द साझा करते हुए योगी ने कहा कि आज मैं कह सकता हूं कि अब कैराना से पलायन नहीं होता, अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हर बेटी अपने आप को सुरक्षित महसूस करती है।
*साथ-साथ चलेंगे विकास और बुलडोजर*
अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर देते हुए सीएम ने कहा “मुझे एक समाजवादी बहुत चिल्ला-चिल्ला के बोल रहे थे, कह रहे थे कि विकास के साथ-साथ ये बुलडोजर का क्या मतलब है? मैंने कहा कि दोनों साथ-साथ चलेंगे।” हल्के-फुल्के अंदाज में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तो उन्होंने बुलडोजर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपकरण लगा दिए हैं, जहां माफिया होगा, जहां दीवारों में जनता का पैसा छुपाया गया होगा, बुलडोजर खुद पहुंच जाएगा।
थानाभवन विधानसभा क्षेत्र में जनता से संवाद करते हुए उन्होंने विपक्ष पर करारा वार भी किया। सपा और रालोद के गठबंधन पर तंज कसते हुए योगी ने कहा कि यह ‘दो लड़कों की जोड़ी’ सूखी हुई जोड़ी है। यह लोग ‘डार्क जोन’ वाले हैं, इनके राज में हैंडपंप का पानी भी सूख जाता था।अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पर निशाना साधते हुए योगी ने कहा कि जब मुजफ्फरनगर दंगा हुआ, कैराना से पलायन हो रहा था तो यह लोग बिलों में छुपे बैठे थे। इनमें से एक लखनऊ में बैठकर दंगा कराता है तो दूसरा दिल्ली में बैठकर तमाशा देखता है। उस विपत्ति काल में भी भाजपा के सुरेश राणा और संजीव बालियान जैसे लोगों ने जनता की सुरक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगाने में भी संकोच नहीं किया।
*रुकनी न पाए सुरक्षा से समृद्धि की यात्रा*
शामली में जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने जो कहा है वो करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को पहले की नौकरी नहीं मिलती थी।।अगर कोई भर्ती निकलती भी थी तो चाचा और भतीजे दोनों वसूली के लिए निकल पड़ते थे। उन्होंने कहा कि बीते पांच सालों में प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलकर सुरक्षा, विकास व सबके सम्मान के जिस अभियान को भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने आगे बढ़ाया है, उसके रुकने-थमने नहीं देना है। सीएम योगी ने कहा कि वर्तमान व भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए, समग्र विकास की यात्रा को अनवरत जारी रखने के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार बहुत जरूरी है।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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