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‘द बीटल्स’ के संगीत निर्माता जॉर्ज मार्टिन नहीं रहे

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'द बीटल्स' के संगीत निर्माता जॉर्ज मार्टिन नहीं रहे

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'द बीटल्स' के संगीत निर्माता जॉर्ज मार्टिन नहीं रहे

लंदन। ब्रिटेन के मशहूर म्यूजिक बैंड ‘द बीटल्स’ के संगीत निर्माता जॉर्ज मार्टिन का मंगलवार को निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। 

जॉर्ज की प्रबंधन कंपनी ‘सीए मैनेजमेंट’ के संस्थापक एडम शार्प ने बताया कि उन्होंने ब्रिटेन में अपने घर पर अंतिम सांस ली। जॉर्ज का संगीत करियर सात दशकों का है।

तीन जनवरी, 1926 को लंदन में जन्मे जॉर्ज की रूचि शुरुआत से ही पियानो और ऑर्केस्ट्रा बजाने में थी। वह बीटल्स से सात वर्षो के उनके साथ के चलते मशहूर हुए। उन्होंने 1962 तक बैंड के लिए जबर्दस्त धुनें तैयार की और रिकॉर्डिग तकनीक का उपयोग कर उसे आगे ले गए।

जॉर्ज ने ही बीटल्स के अल्बम ‘प्लीज प्लीज मी’ की ताल को रफ्तार दी।

1967 में ‘पेनी लेन’ और ‘स्ट्रॉबेरी फील्ड्स फोरेवर’ गानों से जॉर्ज का हुनर चरम पर पहुंच चुका था।

बीटल्स के सदस्य पॉल मैककार्टनी ने एक बयान में कहा कि ‘जॉर्ज उनके लिए पिता की तरह थे।’

1970 के दशक में बीटल्स बैंड बिखर गया।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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