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उत्तर प्रदेश

बिजनौर: फसाद करने वालों के खिलाफ सख्ती-एक-एक लाख जमा करो, वर्ना जब्त होगी संपत्ति

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Strictly deposit one lakh each against rioters in Bijnor

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बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में प्रशासन ने आपस में फसाद करने वाले दो समूह के 17 लोगों के खिलाफ सख्ती दिखाई है। गांव में तालाब के पानी के इस्तेमाल को लेकर भिड़ने वाले लोगों पर एक-एक लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया गया है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।

मामला बिजनौर के पिट्टा औंढा गांव में हुए झड़प से जुड़ा हुआ है। यहां एक बार हुए विवाद के बाद पुलिस और प्रशासन ने सभी आरोपियों से बॉन्ड पर साइन करवाया था, जिसमें आगे से विवाद नहीं करने का वादा लिया गया था। अब दोबारा विवाद होने की स्थिति में प्रशासन ने कड़ा रुख दिखाया है। सभी 17 नामजद से 15 दिनों के भीतर एक-एक लाख की रकम भरने का निर्देश दिया गया है।

दरअसल, इस साल मार्च में गांव में तालाब के पानी के इस्तेमाल को लेकर हुए विवाद के बाद दो ग्रुप आमने-सामने आ गए थे। 17 लोग नामजद हुए। सभी लोगों का CrPC की धारा 151/107/116 के तहत चालान किया गया। इसके साथ ही सभी से 1 लाख रुपये का बेल बॉंड भी भरवाया गया, लेकिन दोनों ग्रुप एक बार फिर से 24 अप्रैल को भिड़ गए।

घटना की सूचना मिलने पर पुलिस फौरन गांव पहुंची और उपद्रवियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 120बी के तहत ऐक्शन लेते हुए एसडीएम रितु चौधरी को रिपोर्ट भेजी। उन्होंने सभी 17 आरोपियों से बॉन्ड की रकम वसूलने के लिए 122बी के तहत आदेश पारित किया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सभी आरोपियों के घर पर नोटिस चस्पा कर दिया है। जो कोई भी पर्सनल बॉन्ड नहीं भरेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

सिटी एसपी प्रवीण कुमार रंजन ने बताया कि मार्च में गांव में दोनों ग्रुप भिड़ गए थे। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन पर्सनल बॉन्ड की शर्त पर सभी को जमानत मिल गई। अब जब दोनों तरफ से फिर से विवाद की स्थिति हुई तो एसडीएम ने एक-एक लाख रुपये जमा कराने का निर्देश जारी किया है।

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उत्तर प्रदेश

ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी (OTDE) के लिए सही राह पर उत्तर प्रदेश, दोगुनी करनी होगी रफ्तार: सीएम योगी

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● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने के संकल्प की पूर्ति की दिशा में जारी प्रयासों, अब के परिणामों और भावी नीति पर विमर्श किया। नियोजन विभाग द्वारा आयोजित की बैठक में प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्रीगणों की उपस्थिति रही। बैठक में नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव और कंसल्टिंग एजेंसी डेलॉयट इंडिया ने विस्तार से प्रदेश के आर्थिक परिवेश की वर्तमान स्थिति और संभावित भावी परिणाम, उद्योग जगत की अपेक्षाओं आदि के संबंध में सेक्टरवार विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने सभी मन्त्रिगणों और वरिष्ठ अधिकारियों को ईज ऑफ लिविंग तथा अधिकाधिक रोजगार सृजन की दिशा में विशेष प्रयास करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश-दुनिया के बेस्ट प्रैक्टिसेज को देखें- अध्ययन करें और आवश्यकतानुसार लागू करें। विशेष बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश….

● विगत 07 वर्षों के नियोजित प्रयासों से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था आज सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है। 2021-22 में प्रदेश की कुल जीडीपी 16.45 लाख करोड़ थी जो आज 2023-24 में 25.48 लाख करोड़ से अधिक हो गई है। राष्ट्रीय आय में उत्तर प्रदेश 9.2% का योगदान कर रहा है। उत्तर प्रदेश आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का ग्रोथ इंजन बन रहा है।

● प्रदेश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के राष्ट्रीय मानकों का आंकलन करें इसमें भी हमें अपने प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। 2021-22 में प्रचलित भावों पर उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 20.1% रही, जबकि स्थायी भाव पर 9.8% रही। इसी प्रकार, 2023-24 में स्थायी भाव पर प्रदेश में 8% की वृद्धि दर दर्ज की गई और प्रचलित भाव पर 12.8% वृद्धि दर रही। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रदेश विकास की सही राह पर है। हमें अपने प्रयासों को और नियोजित रीति से आगे बढ़ाना होगा।

● 2021-22 से 2023-24 के बीच प्रदेश का कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) लगभग 15.7% दर्ज किया गया है। यह स्थिति उत्साहजनक है। वर्ष 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था (OTDE) का लक्ष्य पूरा करने के लिए अगले 05 वर्षों में हमें अपनी वृद्धि दर को दोगुने से अधिक बढ़ाना होगा। सभी विभागों को अपने प्रयास तेज करने होंगे। बेहतर प्लानिंग करनी होंगी। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है। सभी को मिलकर सही नीति और नियोजित क्रियान्वयन के लिए प्रयास करना होगा।

● आंकड़ों का संग्रहण शुद्धता के साथ होना आवश्यक है। विभिन्न सेक्टर की स्थिति के सही आकलन के लिए विभागवार सांख्यकीय अधिकारियों के लिए कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन करें। डेटा जितना शुद्ध होगा, लक्ष्य के लिए हम उतना ही बेहतर प्रयास कर सकेंगे।

● ईज ऑफ लिविंग और रोजगार सृजन के लिए सभी को प्रयास करना होगा। यह सरकार की प्राथमिकता है। देश-दुनिया के बेस्ट प्रैक्टिसेज को देखें-अध्ययन करें और फिर आवश्यकतानुसार प्रदेश में लागू करें।

● उत्तर प्रदेश के पास बहुत पोटेंशियल है। विशाल लैंडबैंक है। पर्याप्त जल संसाधन है। उपजाऊ भूमि है। आज हमारे पास अनुकूल अवसर है। इसका पूरा लाभ उठाना होगा। आर्थिक बेहतरी के लिए तय लक्ष्यों के सापेक्ष सभी विभागों की प्रगति की समीक्षा होनी चाहिए।

● अर्थव्यवस्था के प्राथमिक खंड में सुधार के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का समावेश किया गया है। डिजिटल क्रॉप सर्वे जैसे प्रयास किए गए हैं। इसे सभी 75 जिलों में प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। अनाज, फल और सब्जियों के उत्पादन की वृद्धि दर को दोगुनी तेजी देने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

● दलहन और तिलहन के उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य स्तरीय योजनाओं के अच्छे परिणाम मिले हैं। वर्ष 2023-24 में दलहन उत्पादन में 9.2% तथा मूंगफली उत्पादन में 28.8% और दुग्ध उत्पादन में 11.92% की वृद्धि देखी गई है। हमने अंडा और मत्स्य उत्पादन में भी अच्छा कार्य किया है। विभिन्न फसलों में उच्च प्रजाति की किस्मों के आँकड़ों का समावेश किया गया है। फसल विविधीकरण एवं बेहतर सप्लाई चेन मैनेजमेंट और बेहतर करने की आवश्यकता है।

● रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रान्सफार्म के मंत्र का अर्थव्यवस्था के द्वितीयक खंड सबसे अच्छा परिणाम देखने को मिला है। अकेले ₹12.7 लाख करोड़ के MoU मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए हुए हैं। इंडस्ट्रियल पॉवर कंजप्शन में 6.8% की वृद्धि हुई है। औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में स्थापित इकाइयों का सर्वेक्षण, अप्रयुक्त प्लॉटों का चिन्हीकरण। नये इन्डस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना हो रही है। 44 नई टाउनशिप पर कार्य प्रारंभ हुआ है। असंगठित क्षेत्र के सही आकलन के लिए जिला आय अनुमानों को और बेहतर ढंग से तैयार किया जाना चाहिए।

● होटल/रेस्टोरेंट, ट्रान्सपोर्ट, संचार, रियल एस्टेट, प्रोफेशनल सर्विस, लोक सेवा, रक्षा व अन्य सेवाओं वाले तृतीयक खंड में प्रदेश तेजी से तरक्की कर रहा है। पर्यटन सेक्टर से जुड़ी सेवाओं में अभूतपूर्व विकास हुआ है। 2023 में घोषित पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक पर्यटक आगमन वाला प्रदेश हो गया है।

● प्रदेश में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, काशी, प्रयागराज, नैमिषारण्य इसके महत्वपूर्ण केंद्र हैं। विगत 07 वर्षों में यहां व्यापक परिवर्तन हुआ है। टूरिस्ट फुटफॉल अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। यह टूरिस्ट फुटफॉल लोकल इकॉनमी को बढ़ावा देने वाला है। इस पर अध्ययन कराएं। अगले वर्ष प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन है। करोड़ों लोगों का आगमन होगा। यह पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा असर डालने वाला होगा। इस पर अध्ययन होना चाहिए। घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ हमें विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी।

● वर्ष 2022-23 के सापेक्ष 2023-24 में प्रदेश में पंजीकृत कुल (कॉमर्शियल) वाहनों में 36.7% की वृद्धि हुई है। देश में कुल पंजीकृत वाहनों में प्रदेश की हिस्सेदारी 12.7% है। इसे और बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रयास किया जाना चाहिए।

● प्रदेश की बेरोजगारी दर 2017-18 में जहां 6.2% थी आज 2.4% रह गई है। इसके साथ ही महिला श्रम बल में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। यह 2017-18 में 13.5% थी आज 2022-23 में 31.2% तक पहुंच गया है।

● OTDE के लक्ष्य की पूर्ति के लिए हमें निजी और सार्वजनिक निवेश को और बढ़ाना होगा। नीतिगत सुधारों के क्रम सतत जारी रखें। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त 40 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों में से 10 लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाएं धरातल पर उतरी जा चुकी हैं। शेष MoU की समीक्षा करें, निवेशकों से संवाद करें। हमें यथाशीघ्र अगले GBC की तैयारी करनी चाहिए।

● निवेशकों से संपर्क-संवाद का क्रम जारी रखना चाहिए। नए सेक्टर-नए निवेशकों से भी संवाद करें। उन्हें प्रदेश की यूएसपी से अवगत करायें।इन्वेस्टर आउटरीच को और बेहतर करने की आवश्यकता है।

● निवेशकों को अपनी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भूमि की आवश्यकता होगी। सभी विकास प्राधिकरणों को अतिरिक्त प्रयास करना होगा। ऐसी भूमि जो आवंटित है लेकिन उपयोग नहीं की जा रही है, उनका चिन्हांकन करें। उनके बारे में यथोचित निर्णय लें। ‘सिक यूनिट’ की पहचान कर उनके सदुपयोग के बारे में निर्णय लें। इंडस्ट्रियल क्लस्टर की कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जाए।

● OTDE के लिए हर विभाग का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित है। इसकी प्रगति की सतत समीक्षा आवश्यक है। विभागीय मंत्री व एसीएस/प्रमुख सचिव के साथ नियोजन विभाग द्वारा मासिक प्रगति समीक्षा की जाए। मुख्य सचिव स्तर पर हर सप्ताह एक सेक्टर की समीक्षा की जाए। जिला उद्योग केंद्रों को और एक्टिव करें।

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