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SC से उद्धव ठाकरे को फिर झटका, विधायकों की अयोग्यता पर तत्काल सुनवाई से इनकार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से शिवसेना के उद्धव ठाकरे कैंप को फिर से झटका लगा है। अदालत ने एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा 11 जुलाई को अन्य केसों के साथ ही इस मसले पर सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर तत्काल सुनवाई नहीं हो सकती है। 11 जुलाई को बहुमत परीक्षण को चुनौती देने वाली अर्जी समेत सभी मामलों पर एक साथ ही सुनवाई की जाएगी।

दरअसल, शिवसेना के चीफ व्हिप विधायक सुनील प्रभु की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों पर अयोग्यता का नोटिस है। ऐसे में उस पर फैसला होने तक उनकी विधानसभा में एंट्री पर रोक लगनी चाहिए।

शिवसेना की अर्जी में यह भी कहा गया था कि ये लोग विधायक के तौर पर बहुमत परीक्षण में मतदान का भी अधिकार नहीं रखते हैं। इसी तर्क के साथ फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर भी रोक होनी चाहिए।

उनका कहना था कि अयोग्यता नोटिस पर फैसले तक इन विधायकों को निलंबित कर दिया जाए। प्रभु की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे, लेकिन अदालत ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकती।

इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र भी एक दिन के लिए टल गया है। अब 3 और 4 जुलाई को विधानसभा का स्पेशल सेशन होगा। पहले दिन विधानसभा के स्पीकर का चुनाव कराया जाएगा और फिर अगले दिन यानी 4 जुलाई को शिंदे सरकार बहुमत साबित करेगी। कोर्ट की ओर से 11 जुलाई को ही सुनवाई किए जाने से साफ है कि अब एकनाथ शिंदे सरकार आसानी से बहुमत साबित कर सकेगी।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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