प्रादेशिक
विनाशकारी कृषि नीतियों को पलटना होगा : पटनायक
लखनऊ। भारतीय कृषि गहरे संकट में फंसा दी गयी है। लाखों किसानों ने कर्ज में फंसकर आत्महत्या कर ली है। मोदी सरकार की दो वर्ष के दौरान किसानों द्वारा की जा रही इन आत्महत्याओं की दर में 26 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा लागू की जा रही कृषि नीतियां जिम्मेदार हैं। इन नीतियों को पलटकर ही देश की खेती और किसानों की हिफाजत की जा सकती है।उक्त विचार यहां प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. प्रभात पटनायक ने प्रकट किये। वह गांधी भवन प्रेक्षागृह में उप्र किसान सभा द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन कृषि में गहराते संकट को लेकर आयोजित किया गया था। जिसमें प्रदेश भर से लगभग 800 किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रो. पटनायक ने आजादी से पहले और आजादी के बाद अपनाई गयी कृषि नीतियों की किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों को आंकड़ों के द्वारा प्रस्तुत किया। हरित क्रान्ति के समय अपनायी गयी नीतियों से, जिसके तहत राज्य द्वारा खेती को समर्थन दिया गया था, कृषि उत्पादन में वृद्धि और किसानों की तरक्की दिखायी देती है। उन्होंने कहा कि उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद फिर कृषि सब्सिडी के खात्मे, फसलों की सरकारी खरीद की अवहेलना, सस्ते कृषि ऋणों में कमी तथा खेती में सरकारी निवेश को घटाने जैसी नीतियों के द्वारा खेती और किसानों को संकट में फंसा दिया गया।
पटनायक ने कहा कि पूंजीवाद का नियम है कि वह तमाम लघु उत्पादकों को तबाह करके अपनी तरक्की करता है। आज खेती में यही हो रहा है। उन्होंने उदारीकरण की नीतियों से देश को अलग करने पर जोर दिया तथा वैकल्पिक नीति बताते हुए कहा कि समूची जनता के लिए भोजन की गारंटी, रोजगार की गारंटी, स्वास्थ्य की गारंटी, शिक्षा की गारंटी तथा बुढ़ापे की सुरक्षा करनी होगी। यह सब करने में देश के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र आठ फीसदी खर्च होगा। जिसे अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर किया जा सकता है। देश को उदारीकरण से अलग कर खेती और किसानों को बचाने के लिए जरूरी है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त मंत्री एनके शुक्ला ने कहा कि कृषि सब्सिडी खत्म करके कृषि लागत बढ़ायी जा रही है। फसलो के दाम नहीं दिये जा रहे हैं। खाद, बिजली, डीजल आदि कृषि में सप्लाई में होने वाले उपादान निजी क्षेत्र को सौंपे जा रहे हैं। फसलों की खरीद फरोख्त में मोदी सरकार 100 फीसदी एफडीआई को लाने का ऐलान कर चुकी है। जिसका विरोध करना होगा।
सम्मेलन का मुख्य प्रस्ताव उप्र किसानसभा के महामंत्री का. दीनानाथ सिंह ने पेश किया। जिसमें खेती में विदेशी कम्पनियों की घुसपैठ पर रोक लगाने, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने, कृषि सब्सिडी जारी रखने, फसलों की खरीद फरोख्त में 100 फीसद एफडीआई के फैसले को वापस लेने एवं सरकारी खरीद प्रणाली को कारगर बनाने, मनरेगा का विस्तार करने एवं मजदूरी बढ़ाने,समूची देहाती जनता को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाने, साम्प्रदायिक ताकतों पर अंकश लगाने आदि की सरकार से मांग की गयी।
प्रस्ताव में अगले दो माह में प्रदेश के अधिकांश गांवों में सभा करने उसके बाद क्षेत्रीय स्तर व जिला स्तर बड़ी सभा करने व जत्थे निकालने व एक दिसम्बर को प्रदेश के समस्त जिलाधिकारी के कार्यालयों पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रदेश भर के किसान मजदूरों का आह्वान किया। बाद में प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष का. डी.पी. सिंह ने तथा संचालन प्रदेश उपाध्यक्ष का. मुकुट सिंह ने किया।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी का विपक्ष पर हमला, कहा- आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा
गोरखपुर। सीएम योगी ने शुक्रवार को गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद और भाजपा प्रत्याशी रविकिशन शुक्ल के नामांकन के बाद, उनके पक्ष में महंत दिग्विजयनाथ पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के मतदान तक हताश हो चुके विपक्ष के नेता अब भगवान राम पर टिप्पणी करने लगे हैं। कोई कहता है कि राम मंदिर बेकार है तो कोई कहता है कि राम मंदिर से जनता को क्या लाभ है। योगी ने कहा कि आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरे चरण में लोकसभा का चुनाव अब उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां विपक्ष ने हार मान ली है। कांग्रेस, सपा बसपा सबने हार स्वीकार कर ली है। तीन चरणों में 285 सीटों पर यानी पूरे देश के अंदर आधा चुनाव संपन्न हो चुका है। योगी ने कहा कि चुनाव प्रचार में देश के अंदर उन्हें नौ राज्यों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ है। पूरे देश के अंदर एक ही स्वर गूंज रहा है, “फिर एक बार मोदी सरकार”। देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। हम उनको लाएंगे जिन्होंने रामराज की परिकल्पना को साकार किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए आज के विपक्ष ने राम जन्मभूमि पर आतंकी हमला करने वालों के खिलाफ, माफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए होते तो संकटमोचन मंदिर और कचहरी पर आतंकी हमले नहीं होते। आतंकवाद के मुद्दे पर घुटना टेकने की नीति का दुष्परिणाम रहा कि इन हमलों में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। रामराज का मतलब सबका सम्मान, सबकी सुरक्षा, सबका विकास और गरीब कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर तबके को बिना भेदभाव प्राप्त होना है।
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