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कारसेवकों पर गोली चलाने वाले आ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नहीं: निमंत्रण ठुकराने पर भड़की बीजेपी

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नई दिल्ली। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस नेताओं के शामिल न होने पर भाजपा ने नाराजगी जाहिर की है। संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा आपको (कांग्रेस) राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया, लेकिन चंद कट्टरपंथी वोटों के लिए आपने निमंत्रण ठुकरा दिया।

कांग्रेस ने हिंदू धर्म का विरोध दर्शाया है

भाजपा नेता ने आगे कहा,” आप अपने को बदलकर दिखा सकते थे, आपने ऐसा नहीं किया। यह नेहरू का कांग्रेस है। यह महात्मा गांधी का कांग्रेस नहीं है। गांधी की समाधि पर लिखा है हे राम। इन्होंने इस अवसर को अपने हाथ से गंवाया है।”

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने हिंदू धर्म का विरोध दर्शाया है। चंद कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों के वोटों की वजह से कांग्रेस ने यह फैसला लिया है।राम नाम कड़वा लगे और प्यारा लगे राम तो। दुविधा में दोनो गए, माया मिली न राम।”

भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा समाप्त हो चुकी है।  आपको न्योता भेजा गया था। आपको सद्बुद्धि आई होती तो उनका पाप धुल जाता।

जनता कर रही कांग्रेस का बहिष्कार

त्रिवेदी ने आगे कहा,”कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। कांग्रेस ने जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया। 2004 के बाद 2009 तक, कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया।

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के नेतृत्व में मई 1998 में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद कांग्रेस ने 10 दिनों तक कोई बयान नहीं दिया। कांग्रेस ने अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भारत रत्न समारोह का भी बहिष्कार किया था। जनता भी अब उनका सत्ता से बहिष्कार कर रही है।”

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि उन लोगों को निमंत्रण भेजा गया, जिन लोगों ने कारसेवकों और रामभक्तों पर गोलियां चलाई थी। वो लोग भी इस समारोह में शामिल होंगे, लेकिन कांग्रेस इस समारोह में नहीं आएगी।

कांग्रेस नेताओं ने समारोह से किया किनारा

बता दें कि बुधवार को कांग्रेस ने पत्र जारी करते हुए कहा कि अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा का समारोह BJP और RSS का एक इवेंट है। इस समारोह में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।

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पांचवें चरण में यूपी की इन 14 सीटों पर डाले जा रहे वोट, राहुल-राजनाथ समेत कई दिग्गज मैदान में

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नई दिल्ली। देश में आज पांचवे चरण के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी सहित चुनाव मैदान में है। इसी चरण में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की भी 14 सीटों पर मतदान है। आज सभी दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। हालांकि जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें ज्यादातर सीटें पिछली बार बीजेपी के पास ही थी इसलिए भारतीय जनता पार्टी आश्वत है कि सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज होगी।

2019 के चुनाव में सिर्फ रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी. राजनाथ सिंह लखनऊ से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन से रविदास मेहरोत्रा और बसपा के सरवर अली चुनावी मैदान में हैं।

अमेठी लोकसभा से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराया था. उनके खिलाफ गांधी परिवार के खास किशोरीलाल शर्मा ताल ठोक रहे हैं। शर्मा का दावा है कि 40 सालों से वो अमेठी की जनता से जुड़े हैं। उन्होंने राजीव गांधी के साथ भी रैलियों में भाग लिया था। इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का पूरा फोकस है।

वहीं लखनऊ से सटे मोहनलालगंज से केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार कौशल किशोर तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनको सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार आर.के. चौधरी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। वहीं बहुजन समाज पार्टी से राजेश कुमार मैदान में हैं। फतेहपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा से प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति एक बार फिर से चुनावी रण में हैं। वह 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुकी हैं। सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से उनको कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। बसपा ने यहां से पिछड़ी जाति के कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी डॉक्टर मनीष सचान को मैदान में उतार कर सपा व भाजपा की धड़कन बढ़ा दी है।

भाजपा ने जालौन सीट से पांच बार के सांसद और वर्तमान में मंत्री भानु प्रताप वर्मा को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस से नारायण दास अहिरवार मैदान में हैं। अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वह 2007 से 2011 तक मायावती सरकार में मंत्री थे. 2022 में वह सपा में आ गए थे। वैसे इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता रहा है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इस बार भानू प्रताप का मुकाबला इन्हीं से माना जा रहा है।

इसके अलावा इस चरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी ने इस चुनाव में वायनाड के अलावा रायबरेली सीट से भी पर्चा भरा है. वायनाड में पहले ही वोटिंग हो चुकी है. रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. खुद सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीतती आई हैं. हालांकि इस बार वे राज्यसभा की ओर रुख कर चुकी हैं. लिहाजा राहुल गांधी ने इस सीट से पर्चा भरा है. भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. 2018 में भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े. वे 1.67 लाख वोट से हार गए थे. एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में यहां से मैदान में हैं.

इसके साथ ही यूपी की कैसरगंज भी काफी चर्चित सीट है. जिसमें बृजभूषण शरण सिंह को इस बार विवादों के चलते भाजपा ने टिकट नहीं दिया. लेकिन उनके बेटे करण भूषण सिंह चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. कौशांबी सीट पर वर्तमान सांसद विनोद सोनकर भी तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ महज 25 साल के प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं

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