अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान: सेना ने मार्शल लॉ लगाए जाने का किया खंडन, कहा- लोकतंत्र में करते हैं विश्वास
इस्लामाबाद। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान की गिरफ्तारी के कारण लगभग चार दिनों से चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बाद सेना ने देश में मार्शल लॉ लगाए जाने की खबरों का खंडन किया है। बता दें, इमरान समर्थकों द्वारा सेना के मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया था।
सेना लोकतंत्र का करती है समर्थन
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल को बताया कि मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जनरल असीम मुनीर और सेना लोकतंत्र का समर्थन करती है और आगे भी करती रहेगी। सेना के बड़े-बड़े अधिकारी भी लोकतंत्र में विश्वास करते हैं। चौधरी ने पाकिस्तान में चल रही अराजकता के कारण सेना के अधिकारियों के इस्तीफा देने की खबरों को भी खारिज कर दिया।
चौधरी ने कहा कि कई लोग अराजकता की स्थिती उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन दुश्मनों के सभी प्रयासों के बावजूद सेना मुनीर के नेतृत्व में एकजुट होकर काम कर रही है। सेना के अंदर अलगाव पैदा करना सपना ही रह जाएगा। न तो किसी सेना के अधिकारी ने इस्तीफा दिया है और न ही किसी आदेश की अवहेलना की है।
सेना पर किया हमला
गौरतलब है, यह बयान उस बीच में आया है, जब इमरान खान ने सेना की आलोचना की और उनके समर्थकों ने लाहौर में कोर कमांडर के आवास पर हमला कर दिया। साथ ही रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर भी हमला किया।
इमरान की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन
इमरान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें लगभग एक दर्जन लोग मारे गए और कई घायल हुए। अभी तक सैकड़ों कार्यकर्ताओं और शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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