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अन्तर्राष्ट्रीय

ओलम्पिक पर जीका का खतरा, टालने या स्थानांतरित करने की मांग

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वाशिंगटन | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को 100 से अधिक प्रमुख चिकित्सकों और प्रोफेसरों ने आगामी रियो ओलम्पिक खेलों के आयोजन के संबंध में पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर ब्राजील में जीका वायरस के संक्रमण को देखते हुए रियो ओलम्पिक खेलों को स्थगित या स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक मार्गरेट चान को शुक्रवार को लिखे पत्र में चिकित्सकों और प्रोफेसरों ने कहा है कि उन्होंने इन खेलों को स्थगित या स्थानांतरित करने की सिफारिश इस सच्चाई के बावजूद की है कि रियो ओलम्पिक को अब टाला नहीं जा सकता और इसकी सफलता पर भी कोई शक नहीं है।

इस पत्र में कहा गया, “हमारी सबसे बड़ी चिंता वैश्विक स्वास्थ्य है। ब्राजील में फैल रहा जीका वायरस स्वास्थ्य को इस प्रकार हानि पहुंचा सकता है, जो विज्ञान ने आज तक कभी देखा नहीं होगा।” इस पत्र के बाद हालांकि, डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी बयान में यह कहा गया है कि रियो 2016 ओलम्पिक को स्थगित किए जाने या इसे स्थानांतरित किए जाने से जीका वायरस के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे प्रसार में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, संगठन ने इस पर गौर किया है कि ब्राजील इस वायरस का केंद्र है और इसके लगातार प्रसार के मामले दर्शाने वाले 60 देशों में से एक है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, “लोग कई कारणों से इन देशों का लगातार दौरा कर रहे हैं। इसके प्रसार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यहीं है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य यात्रा सलाह का पालन किया जाए।” अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने कहा है कि उसका ओलम्पिक खेलों को स्थगित करने या स्थानांतरित करने की कोई योजना नहीं है।

अधिकारियों ने पत्र में लिखा है कि जीका वायरस पहले की तुलना में अब अधिक गंभीर नजर आ रहा है और मच्छरों के खिलाफ चलाए गए कार्यक्रमों के बावजूद रियो क्षेत्र में स्थिति खराब होती जा रही है। पत्र में कहा गया, “इस खतरे को बढ़ने देना अनैतिक है। इसलिए जरूरी है कि डब्ल्यूएचओ जीका, ओलम्पिक खेलों तथा यात्रा संबंधी सुझावों पर सबूतों के आधार पर मूल्यांकन करे।” ओलम्पिक खेलों का आयोजन रियो डी जेनेरियो में पांच से 21 अगस्त तक होगा, जिसमें 500,000 से अधिक लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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