अन्तर्राष्ट्रीय
उत्तर कोरिया प्रस्ताव पर मतदान बुधवार को : सुरक्षा परिषद
संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बुधवार को डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिकन ऑफ कोरिया (डीपीआरके) पर नए प्रतिबंध लगाने संबंधी एक प्रस्ताव पर वोट करना है। यह कदम डीपीआरके के जनवरी में चौथा परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद उठाया जा रहा है।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष इस्माइल गैस्पर मार्टिस ने मंगलवार को परिषद की मार्च की कार्ययोजना की संक्षिप्त जानकारी देने के दौरान कहा, “हमें बुधवार को इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। परिषद के सदस्य राष्ट्र अब इस पर चर्चा, मंत्रणा करेंगे और देखेंगे कि प्रत्येक देश इस प्रस्ताव में कैसे फिट बैठता है।”
इससे पूर्व, राजनयिकों ने कहा कि इस प्रस्ताव पर वोट बुधवार सुबह 10 बजे (स्थानीय समयानुसार) कराया जाना है। अमेरिका ने पिछले सप्ताह परिषद के 15 सदस्य राष्ट्रों के बीच मसौदा प्रस्ताव रखा था, जिसका उद्देश्य डीपीआरके के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए उस पर नए प्रतिबंध लगाना है।
मार्टिस ने यह भी कहा कि चीन ने उत्तर कोरिया को ‘धीरे-धीरे इस स्थिति से बाहर निकालने’ के लिए सक्रिय बातचीत में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने में भूमिका निभाई। हालांकि इस दिशा में और भी प्रयास करने की जरूरत है। उत्तर कोरिया ने जनवरी में अपना चौथा परमाणु परीक्षण किया। उसने इससे पहले 2006, 2009 और 2013 में तीन परमाणु परीक्षण किए थे। डीपीआरके के पहले परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद ने उस पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव लाया था और एक प्रतिबंध समिति बनाई थी।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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