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प्रादेशिक

राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन द्वारा आयोजित स्वास्थ्य मेगा कैम्प में 2500 से ज़्यादा मरीज़ों की हुई मुफ्त जांच

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बलिया। बलिया जिले की नगर पंचायत रेवती में मुफ़्त स्वास्थ्य सुविधा कैम्प के समापन दिवस के दिन पूरे रेवती से 2500 से भी ज़्यादा मरीज़ों ने मुफ़्त जाँच, मुफ़्त चिकित्सा एवं मुफ़्त दवा का लाभ लिया।

जुलाई के फर्स्ट वीक में अंतिम दिन लोगो की भीड़ ने ज़ोर शोर से राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन द्वारा हुई इस पहल की सराहना की और भविष्य में इसे जारी रखने का अनुरोध किया।

कैम्प समापन के दिन पूर्व चेयरमैन ज़िला सहकारी बैंक बलिया माननीय श्री अशोक कुमार पाठक भी उपलब्ध रहे एवं आश्चर्यचकित हो कर राजेश सिंह दयाल द्वारा लिए इस पहल की सराहना की एवं लखनऊ से मंगाई जाँच मशीनों का मुआइना भी किया।

चंदन हॉस्पिटल लखनऊ से संबद्ध होकर किए इस कैम्प में चंदन हॉस्पिटल के प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने उत्सुकता से हिस्सा लिया जिनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पे डॉ. साक्षी पांडेय, एमडी मेडिसिन के तौर पर डॉ. देबब्रत मिश्रा, बच्चा रोग विशेषज्ञ के तौर पर डॉ. चंद्रमनी, श्वास रोग विशेषज्ञ के तौर पर डॉ. दीपेन प्रमुख तौर पर उपलब्ध रहे।

कैम्प के संचालन हेतु प्रमुख सहयोग शांति हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ. आर बी एन पांडेय, डॉ. अभय तिवारी, भोला ओझा एवं अप सभापति साधन सहकारी समिति डुमरिया के श्री मिथलेश कुमार पटेल जी ( मिट्ठू) का रहा

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प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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