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बढ़ेंगी मनीष सिसोदिया की मुश्किलें, शराब घोटाले के आरोपी शरत रेड्डी बने सरकारी गवाह

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Manish Sisodia Sharat Reddy

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नई दिल्ली। दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में जेल में बंद आप नेता व दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ने वाली है। दरअसल, इस मामले में आरोपी बनाए गए हैदराबाद के कारोबारी शरत चंद्र रेड्डी सरकारी गवाह बन गए हैं।

अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक शरत रेड्डी के सरकारी गवाह बनने के बाद दिल्ली सरकार और मनीष सिसोदिया की मुश्किल बढ़ सकती है। शरत रेड्डी जांच एजेंसी के सामने जो बयान देंगे वो मनीष सिसोदिया की मुश्किलों को बढ़ा सकती है। इस केस से जुड़े अब कई राज सामने आने की उम्मीद है।

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का मानना है कि शरत रेड्डी के सरकारी गवाह बनने के बाद इस घोटाले की जांच की आंच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक पहुंचेगी। शराब घोटाला मामले में पिछले साल 10 नवंबर को ईडी ने शरत रेड्डी को गिरफ्तार किया था।

कौन हैं शरत रेड्डी

पी शरत चंद्र रेड्डी अरविंदो फार्मा के फाउंडर पीवी राम प्रसाद रेड्डी के बेटे हैं और अब कंपनी की कमान संभालते हैं। फार्मा के साथ-साथ वो शराब कारोबार से भी जुड़े हैं। ईडी के मुताबिक शरत ने कई कारोबारियों और नेताओं के साथ मिलकर शराब घोटाले में सक्रिय रूप से योजना बनाई और साजिश रची। आपको बता दें कि अरविंदो फार्मा जेनरिक ड्रग्स मार्केट का बड़ा प्लेयर है।

ग्लोबल मार्केट में उनकी पकड़ है। अरविंदो फार्मा से पहले शरत ट्रीडेंट लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड की कमान संभाल रहे थे। बाद में अरविंदो फर्मा ने इसका अधिग्रहण कर लिया। बिजनेस एडमिस्ट्रेशन में ग्रेजुएट शरत रेड्डी का पूरा परिवार कारोबार जगत से जुड़ा है।

उनके भाई रोहित रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के राज्य सभा एमपी वी विजयसाई रेड्डी ( V Vijaysai Reddy) के दामाद हैं। शराब घोटाले से पहले शरत रेड्डी का नाम साल 2012 में सीबीआई की एक और चार्जशीट में दाखिल हुआ था। जमीन अधिग्रहण मामले से जुड़े एक केस में भी उनका नाम सामने आया था।

क्या है दिल्ली का शराब घोटाला केस

दिल्ली का बहुचर्चित शराब घोटाला साल 2021 में दिल्ली की शराब बिक्री नीति से जुड़ा है। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। नई नीति के तहत दिल्ली में 32 जोन बनाए गए । हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। यानी 849 दुकानें खोली जानी थी।

नई पॉलिसी लागू होने के बाद शराब की दुकानों को 100 प्रतिशत प्राइवेट कर दिया गया। सरकार का दावा था कि इससे 3500 करोड़ रुपये का फायदा होगा । इसे लेकर दिल्ली सरकार पर आरोप लगा कि उन्होंने जानबूझ कर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये पॉलिसी बनाई।

इसके अलावा भी कई ऐसे नियम थे , जिसे लेकर विवाद हुआ। आरोप लगा कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। विवाद के बाद फौरन इस नीति को वापस ले लिया गया।

नई शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार पर GNCTD अधिनियम 1991, व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 तोड़ने के आरोप लगे।

इस मामले में सीबीआई ने 15 लोगों और अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसमें मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया गया। उनपर आईपीसी की धारा 120B, 477A और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया गया।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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