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महाराष्ट्र: 40 दिन बाद शिंदे सरकार का कैबिनेट विस्तार, 18 मंत्री शामिल; भाजपा के 9
मुंबई। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार का 40 दिनों के बाद कैबिनेट विस्तार हो गया है। भाजपा के कोटे से 9 मंत्रियों ने शपथ ली है। एकनाथ शिंदे के खेमे से भी इतने ही विधायकों ने शपथ ली है। सबसे पहले राधाकृष्ण विखे पाटिल ने शपथ ली और फिर भाजपा के ही सीनियर नेता सुधीर मुनगंटीवार ने शपथ ली।
इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और फिर विजय कुमार गावित ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है। भगत सिंह कोश्यारी ने कुल 18 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई है, जिनमें गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संजय राठौड़, सुरेश खाडे, संदीपन भुमरे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, रवींद्र चव्हाण, अब्दुल सत्तार शामिल हैं।
इसके अलावा एकनाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता रहे दीपक केसरकर और अतुल सावे, शंभूराज देसाई और मंगलप्रभात ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि किस नेता को कौन सा विभाग दिया जाएगा, लेकिन चर्चा हैं कि डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को होम मिनिस्ट्री मिल सकती है। कई अहम मंत्रालय भाजपा के खाते में जा सकते हैं। शपथ ग्रहण से पहले देवेंद्र फडणवीस के साथ भाजपा विधायकों की बैठक हुई थी। इसके अलावा एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की भी मीटिंग हुई थी।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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